इसलिए आदिकाल से मनुष्यों को जलाया और दफनाया जाता है
इसलिए आदिकाल से मनुष्यों को जलाया और दफनाया जाता है
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आदिकाल से चली आ रही प्रथा आज भी कायम है कि मनुष्य कि मृत्यु के बाद उसके शव को जलाया या दफनाया जाता है, हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक मनुष्य कि मृत्यु के बाद उसके मृत शव का अंतिम संस्कार किया जाता है जिससे कि उसकी आत्मा को शान्ति मिल सके, तथा उसकी आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाए, अतिंम संस्कार कि प्रथा हर धर्मो में अलग-अलग निभाई जाती है वही कुछ धर्मो में मृत शरीर को प्राक्रतिक जीवो को खाने के लिए छोड़ दिया जाता है.

कुछ धर्मो के लोग मृत शरीर को दफनाते है इसका कारण लोगों कि ऐसी मान्यता है कि इससे धीरे-धीरे शरीर मिट्टी में मिलकर प्राकृतिक रूप से खत्म होता जाता है और इससे हमारे वातावरण में प्रदूषण भी नहीं फैलाता, इसलिए यह तरीका सबसे बेहतर है खास बता ये है कि जिन धर्मों में शव को दफनाने का रिवाज़ है उनमें शव को किसी पेड़ के पास ही दफन किया जाता है लेकिन जब हम बात हिन्दू धर्म कि करते हैं तो यह बाकी धर्मों से काफी अलग है हिन्दू धर्म के मुताबिक लोगों को अपने जीवन में कम से कम तीन वृक्ष उगाने को कहा गया है.

हिन्दू धर्म सूर्य देवता और अग्नि देवता कि बहुत मान्यता है जो मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक के साक्षी होते है इसलिए हिन्दू धर्मो में मनुष्य को जलाने का रिवाज़ है. और जलाते समय आत्मा कि शांति और उसे दूसरा नया जीवन मिलने कि कामना करते है.

 

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