कालभैरव के दर्शन से होती ग्रहों की बाधा दूर
कालभैरव के दर्शन से होती ग्रहों की बाधा दूर
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यदि आप किसी भी ग्रह बाधा से पीड़ित है या फिर आपको किसी न किसी कारण से परेशानी का सामना करना पड़ रहा हो तो उज्जैन स्थित काल भैरव मंदिर में आकर पूजा अर्चना करने की जरूरत है। ऐसा माना जाता है कि काल भैरव के दर्शन मात्र और इन्हें मदिरा का भोग लगाने से ही समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण हो जाता है। उज्जैन धार्मिक नगरी है तथा यहां कई चमत्कारी मंदिर विद्यमान होकर श्रद्धालुओं की परेशानी दूर होती है। इन्ही मंदिरों में से एक काल भैरव मंदिर भी है। मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में प्राप्त होता है।

स्कंद पुराण के मुताबिक चारों वेदों के रचियता ब्रह्मा ने जब पांचवें वेद की रचना करने का फैसला किया तो परेशान देवता उन्हें रोकने के लिए महादेव की शरण में गए. उनका मानना था कि सृष्टि के  लिए पांचवे वेद की रचना ठीक नहीं है. लेकिन ब्रह्मा जी ने महादेव की भी बात नहीं मानी. कहते हैं इस बात पर शिव क्रोधित हो गए. गुस्से के कारण उनके तीसरे नेत्र से एक ज्वाला प्रकट हुई. इस ज्योति ने कालभैरव का रौद्ररूप धारण किया, और ब्रह्माजी के पांचवे सिर को धड़ से अलग कर दिया.

कालभैरव ने ब्रह्माजी का घमंड तो दूर कर दिया लेकिन उन पर ब्रह्महत्या का दोष लग गया. इस दोष से मुक्ति पाने के लिए भैरव दर दर भटके लेकिन उन्हें मुक्ति नहीं मिली. फिर उन्होंने अपने आराध्य शिव की आराधना की. शिव ने उन्हें शिप्रा नदी में स्नान कर तपस्या करने को कहा. ऐसा करने पर कालभैरव को दोष से मुक्ति मिली और वो सदा के लिए उज्जैन में ही विराजमान हो गए.

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