भारतीय संस्कृति में शंख को बहुत ही पवित्र माना जाता है, इसकी ध्वनि को शुभता का प्रतीक माना जाता है इसी कारण से सभी शुभ अवसर पर इसका उपयोग किया जाता है. मंदिरों में बिना शंख के पूजा अपूर्ण मानी जाती है. लेकिन, क्या आप जानते है कि शंख ध्वनि को इतना महत्व क्यों दिया जाता है? आज हम आपसे इसी विषय पर चर्चा करने वाले है, तो चलिए जानते है कि शंख को धार्मिक दृष्टि से इतना महत्व क्यों दिया जाता है...
शंख की आध्यात्मिकता- भारत में सभी धार्मिक चीजों को बहुत ही पवित्र माना जाता है, इसी कारण से व्यक्ति वेदों में बताये गए नियमों के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करता है और इसी वजह से अब तक आध्यात्मिकता भारत की संस्कृति में मौजूद है. ऐसा माना जाता है कि वेदों की रचना किसी व्यक्ति ने नहीं बल्कि स्वयं भगवान ने की है इसलिए इसे अपौरुषेय की संज्ञा दी जाती है. हमारे वेदों में शंख और शंख ध्वनि को बहुत ही पवित्र और शुभ माना गया है इसी कारण से सभी धार्मिक और शुभ कार्यो में इसको महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है.
अथर्ववेद के अनुसार- अथर्ववेद के अनुसार शंख को अन्तरिक्ष, वायु ज्योतिमंडल और स्वर्ण से युक्त माना गया है इसकी ध्वनि मात्र सुनकर शत्रु निर्बल हो जाते है तथा राक्षस, भूत-प्रेत आदि इसकी ध्वनि को सुनकर भाग जाते है अज्ञानता, दरिद्रता आदि भी इससे भयभीत होकर दूर ही रहते है. शंख के इसी गुण के कारण ही मानव जीवन में इसे महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है.
फेफड़े को स्वस्थ व बलवान बनाता है- शंख व्यक्ति के स्वास्थ व फेफड़े के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है, इसे बजाने से व्यक्ति का फेफड़ा अधिक मजबूत और बलवान होता है. जिसके कारण उसे कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है, इसके अलावा वह अपना जीवन स्वस्थ तरीके से व्यतीत करता है.
विदेश यात्रा का सपना आप भी कर सकते है ऐसे साकार
वरुण तेज के साथ कज़ाकिस्तान में ट्रेनिंग लेंगी अदिति राव हैदरी
ऐसे पहचाने आपके घर में नकारात्मक शक्ति का वास है अथवा नहीं
शनिवार के दिन अनजाने में किया गया यह काम शनिदेव को करता है नाराज