दिमाग को ख़राब करता है मोबाइल
दिमाग को ख़राब करता है मोबाइल
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मोबाइल फ़ोन का उपयोग इस कदर से होने लगा है की समझ में ही नही आ रहा है की मोबाईल इंसान की ज़र्रोरत है या फिर इंसान मोबाईल की ज़रूरत बन गया है. घर हो या सड़क या फिर शादी का माहोल वह इस तरह अपने आप को मोबाईल के प्रति समर्पित कर देता है की मानो इसके सिवा कोई नही है. मोबाईल दिन बा दिन न सिर्फ लोगो की व्यस्तता का कारन बना है बल्कि यह पारिवारिक सम्बन्धो में भी दुरी बनाते जा रहा है.इसके बिना हम शायद ज़िंदगी की कल्पना भी नही कर पाये.

मोबाईल केवल बात करने का यन्त्र न रहकर मनोरंजन का साधन भी बन गया है. एक अनुसन्धान के मुताबिक बहुत कम लोग स्मार्टफोन का उपयोग बात करने के लिए करते है यानि इंसान अब फ़ोन बात करने के लिए नही लेता है, हर समय हमारे अंग से चिपका रहने के कारण यह हमारे अंग जैसा हो गया है . हम दिन में तो इसके साथ रहते ही लेकिन रात में सोते समय भी यह हमारे सिरहाने के पास रहता है .एक रिसर्च के मुताबिक 10 में से 8 लोग मोबाईल को अपने पास रखकर सोते है.लेकिन इसके साथ सोने से आपकी नींद में खलल पड़ जाता है. अगर आपको सोते समय कल की शॉपिंग की लिस्ट की चिनता हो रही है या फिर ऐसा लगता है की दरवाज़े की कुण्डी लगायी या नही तो यह सब आपके मोबाइल की वजह से हो रहा है.

विशेषज्ञों की नज़र में मोबाइल को इतने पास में लेकर सोना उचित नही है क्योकि जानकर मानते है की फ़ोन को पास में रखकर सोने से आप सुपर सेंसिटिव हो जाते है जो की आपकी सेहत के लिए ठीक नही है .इसके चलते आपको इन्सोमिया या अनिंद्रा जैसी बीमारी होने के असर बढ़ जाते है. लन्दन के इन्सोमिया विशेषज्ञ का मानना है की अगर आप अपने कमरे में मोबाइल या उसके जैसा कोई यन्त्र रख कर नही सोये तो आपको अच्छी नींद आएगी उनका कहना है की फ़ोन से निकलने वाली तरंगे आपकी नींद को प्रभावित करेगी और आपको चक्कर या सिर दर्द जैसी समस्या बनी रहेगी .

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