भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ , यज्ञ , मुहूर्त, आदि में देव पूजन , पितृ पूजन, नवग्रह पूजन, तप और आराधना के समय हम अक्सर अगरबत्ती जलाते है | कई लोगो के मन में ये प्रश्न उठता है की आखिर हम ऐसा क्यों करते है ? दरअसल भारतीय पूजन पद्यति सत-रज-तम सृष्टी के इन तीन मूलभूत तत्त्व के आधार पर प्रकृति के पञ्च महाभूतों अर्थात पृथ्वी,जल, वायु, अग्नि, आकाश को कर्मकांड के अनुसार पूजती है |
इन तत्वो को परमेश्वर का स्वरुप मानकर इन तत्वो से प्राप्त द्रव्यों जैसे पुष्पः, फल, मिट्टी,जड़ीबूटी, आदि को जल या अग्नि में डालकर पूजा विधि संपन्न होती है | इस श्रंखला में अग्नि में सुगन्धित द्रव्यों का होम किया जाता है , जिससे सुगंध शास्त्र अनुसार वातावरण शुद्ध, पवित्र और सुगन्धित होता है, और सात्विकता का निर्माण होता है| अग्नि में होम करने की सामग्री को जड़ीबूटीयों की लकड़ी में लपेटा जाता है जिसे अगरबत्ती कहते है , वास्तव में अगर एक सुगन्धित पेड़ की डाली होती है, जिसमे होम सामग्री को अन्य द्रव्यों के साथ मिलकर लपेटा जाता है | इसे फिर जलाया जाता है जिससे जड़ीबूटियों के औषधीय गुण वायु के संपर्क में आकर सम्बंधित क्षेत्र को शुद्ध, जीवाणु और रोगाणु मुक्त करते है, इनकी भीनी और आकर्षक सुगंध मन मस्तिष्क को शांति, बल प्रदान करती है,और चित्त की एकाग्रता बढती है | इसलिये हिन्दू पूजन पद्धति में अगरबत्ती जलाते है |