महाशिवरात्रि पर पुराणों के आधार पर शिव दर्शन
महाशिवरात्रि पर पुराणों के आधार पर शिव दर्शन
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ॐ: महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. यह भगवान शिव का पर्व है. फाल्गुन माघ की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग के उदय से हुआ. यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने कालकूट नामक विष को अपने कंठ में रख लिया, जो समुद्र मंथन के समय बाहर आया था. पुराणों के आधार पर जहां ब्रह्मदेव को मस्तिष्क और विष्णुदेव का शरीर में स्थान बताया गया है वहीं शिव का स्थान आत्मा में बताया गया है. परमात्मा को प्राप्त करने के लिए आत्म ज्ञान प्राप्त कर आत्म साक्षात्कार करना होता है जिसमे भगवान शिव के दर्शन होते है. इसीलिए कहा गया है "शिव ही सत्य है और शिव ही परमसत्य है."

इस शिवरात्रि पर अगर आप शिव को प्रसन्न करना चाहते है तो ये बेहद आसान है और ब्रह्माण्ड का सबसे कठिन कार्य भी, ऐसा इसीलिए क्योंकि लोग भगवान को ढूंढ़ने मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च आदि में जाते है लेकिन जो व्यक्ति ब्रह्म मुहर्त में ब्रह्मस्नान कर आत्मध्यान करता है, तत्पश्चात पूर्ण समर्पण के साथ शिवलिंग को प्रणाम कर जल, दूध, पुष्प, चन्दन, बेलपत्र, धतुरा आदि से अनुष्ठान करता है वे अवश्य ही शिव जी की कृपा को प्राप्त करता है.

शिवजी को विनाशक क्यों कहा जाता है? आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शिव दर्शन करने से सर्वप्रथम आत्मशुद्धि उसके बाद मनुष्य के भीतर के राग, द्वेष, क्रोध, लालच, अहंकार, भय, आलस्य, एवं भूतकालिक पापकर्म आदि दुर्गुणों का विनाश हो जाता है इसीलिए शिव जी को विनाशक कहा जाता है.

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इस मंदिर में नाग देवता करते हैं शिवजी की पूजा

महादेव शिव की रात्रि, महाशिवरात्रि

 

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