शिव देते है मोक्ष का वरदान
शिव देते है मोक्ष का वरदान
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वाराणसी के मैदागिन क्षेत्र में भोलेनाथ मृत्युंजय महादेव के रूप में विराजते हैं. यहां भोले बाबा के दर्शन मात्र से ही मन की हर कामना पूरी हो जाती है. चाहे ग्रहों की बाधा हो या फिर कुछ और, मृत्युंजय महादेव के मंदिर में दर्शन कर सवा लाख मृत्युंजय महामंत्र के जाप से सारे कष्टों का निवारण हो जाता है.

बताया जाता है कि यदि कोई भक्त अपनी मुरादें लेकर यहां आता है तो उसकी मुराद जरूर पूरी होती है. इसके साथ ही यदि कोई भक्त मृत्यु के द्वार पर खड़ा हो और यहां गुहार लगाए तो उसकी मृत्यु या तो टल जाती है या फिर भोले उसे अपनी शरण में लेकर मुक्ति का वरदान देते हैं. बाबा महा-मृत्युंजय के इस मंदिर में मुख्य रूप से तीन बार आरती होती है और प्रसाद में इन्हें फल व दूध के साथ दही का भोग लगता है.

मृत्युंजय महादेव के इस दिव्य धाम के पीछे एक कथा भी है. पुराणों की मानें तो समुद्र मंथन के समय जब भगवान शिव ने जनमानस के रक्षार्थ हलाहल विष को पिया तभी उनका एक रूप यहां प्रकट हुआ. तब से लेकर आज तक यहां आने वाला कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटा. भोलेनाथ ने अपनी कृपा से अपनी शरण में आने वाले हर भक्त की झोली भर दी और दे रहे हैं मोक्ष का वरदान.

अपने आप में दिव्य इस धाम में सिर्फ मुरादें ही पूरी नहीं होती, बल्कि यहां आने वाले भक्तों के रोगों का इलाज भी यहीं हो जाता है. इसका उदाहरण है मंदिर के पीछे बना वो कूप जिसे धनवंतरि कूप के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यदि कोई भक्त मृत्युंजय महादेव के दर्शन के बाद इस कूप का जल ग्रहण करे तो उसके पेट संबंधी रोग दूर हो जाते हैं. इसके साथ ही इसके पास ही बने कुण्ड में इसी कूप के जल से स्नान के बाद कुष्ठ जैसा असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है.

गायत्री मन्त्र के जाप से मिलती है मन को शांति

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