हर घंटे दुष्कर्म का शिकार हो रहीं है बच्चियां, हम नहीं आंकड़े कहते हैं
हर घंटे दुष्कर्म का शिकार हो रहीं है बच्चियां, हम नहीं आंकड़े कहते हैं
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हाल ही में नेशनल अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2016 की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि 18 वर्ष से कम आयु की दो बच्चियां हर घंटे दुष्कर्म का शिकार हो रही हैं. इसका मतलबा यह समझ लीजिए कि हिंदुस्तान में हर घंटे दो नाबालिगों के साथ दुष्कर्म होता ही है. यही नहीं बल्कि साल 2016 में 44 प्रतिशत बच्चियों का अपहरण भी किया गया था. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियां इसकी सरल शिकार होती हैं. बच्चियों का दुष्कर्म वैश्यावृत्ति व काम-काज कराने बहाने से किया जाता है. दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं व बच्चों के साथ बढ़ रहे क्राइम व हिंसा की यह रिपोर्ट नेशनल अपराध रिकोर्ड्स ब्यूरो(एनसीआरबी), नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट (एनसीपीसीआर) व चाइल्ड फंड इंडिया में किया गया है .

बच्चों के साथ हिंसा

2005 में हर दिन 11 बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटना होती थी जिसमें हर दो घंटे में एक बच्ची के साथ हिंसा

2016 में 46 बच्चियों के साथ बलात्कार, यानी हर घंटे 2 बच्चियां

भ्रूण हत्या, नवजात की मर्डर व हत्या 2016 144 भ्रूण मर्डर के मामले-

तीन से चार मामले उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ 93 केस नवजात को जन्म के साथ मारा गया, इस मामले में उत्तर प्रदेश, राजस्थान व मध्य प्रदेश में सबसे अधिक मामले सामने आए.

100 हत्याओं में से 6 मर्डर 18 वर्ष से कम आयु की बच्चों की की गई.

अपहरण व भगाने के मामले

2016 में करीब 55000 बच्चों का अपहरण किया गया, जबकि एक लाख से अधिक बच्चों के मामले दर्ज किए गए . इसी के साथ रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जिस तेजी से बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले बढ़ते जा रहे हैं और उसी तेजी से आरोपियों को सजा दिलाने में पुलिस नाकामयाब साबित हो रही है. वहीं बलात्कारियों को मिलने वाली सजा दर भी महज 28 प्रतिशत से भी कम है. यही नहीं केस निपटान की दर भी बहुत कम होती जा रही है.

2016 की रिपोर्ट कि बात कि जाए तो पुलिस महज 64 प्रतिशत केस का ही निपटान कर सकी है. आंकड़ों में तो यह तक बता दिया गया है कि किस तरह से दुनियाभर में 1.3 बिलियन बच्चों को देखभाल करने वाले ही उन्हें .सख्त अनुशासन में रखते हैं वहीं बच्चों के लिए शारीरिक दंड दिए जाने पर प्रतिबंध है लेकिन बच्चों के साथ एक वर्ष की आयु में ही बच्चों के साथ शारीरिक उत्पीड़ण प्रारम्भ कर दिया जाता है.

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