नई दिल्ली : चुनावी सरगर्मी बढ़ते ही देश में दलित से लेकर गो हत्या तक के मुद्दे खुद-ब-खुद पनपने लगते है। सभी दल एक-दूसरे पर आरोप लगते है। इसी का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी विपक्षियों से एक सुर में कहा है कि अपने दिल पर हाथ रखकर खुद से पूछिए कि क्या वाकई दलितों के खिलाफ उत्पीड़न बढ़े है। दरअसल ये नौबत तब आई जब गुरुवार को सदन में दलितों पर अत्याचार को लेकर जमकर बवाल काटा गया। विपक्षियों ने सत्ताधारी सरकार पर आरोप लगाया कि वो दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को रोकने में असमर्थ साबित हो रही है।
इस पर राजनाथ सिंह ने कहा कि देश में भ्रम फैलाने की साजिश की जा रही है कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से दलितों पर जुल्म बढ़ा है, लेकिन आप अपने कलेजे पर हाथ रखकर पूछिए कि क्या वाकई दलितों पर उत्पीड़न बढ़ा है। जो आपको जवाब न में ही मिलेगा। आगे उन्होने कहा कि सरकार अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण कानून को संशोधित करके कठोर कानून बनाएगी।
गृह मंत्री ने बताया कि हमने इस संबंध में पहले ही सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी कर दी है, लेकिन विपक्षी इस पर भी संतुष्ट नहीं हुए और उनका जवाब पूरा होने से पहले ही सदन से वॉकआउट कर गए। चर्चा के शुरु होते ही केरल से माकपा सदस्य पी के बीजू ने कहा कि देश में 37 फीसदी से अधिक दलित आबादी गरीबी रेखा के नीचे हैं, जबकि हर 18 मिनट पर एक दलित पर हमला हो रहा है।
इस दौरान शहरी विकास मंत्री एम वैंकेया नायडू ने पूछा कि इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से अच्छा है, इनके उत्थान के लिए प्रयास किया जाए। बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा में कहा कि पीएम सदन के बाहर तो बयान देते रहते हैं, लेकिन सदन में नहीं बोलते।