दसॉल्ट एविएशन ने कहा, कंपनी ने रिलायंस को खुद चुना
दसॉल्ट एविएशन ने कहा, कंपनी ने रिलायंस को खुद चुना
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tyle="text-align: justify;">नई दिल्ली: पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ़्रांस्वा ओलांद ने एक बयान दिया था जिसमे उन्होंने बताया था कि राफेल डील में भारतीय कंपनी रिलायंस को उन्होंने खुद शामिल किया है, जिस बयान पर विवाद हो गया था. इसी बात को लेकर भारत में चल रहे मतभेद को दूर करने के लिए दसॉल्ट ने कहा है कि ओलांद ने नहीं दसॉल्ट ने स्वयं रिलायंस को डिफेन्स के लिए चुना था.

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फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के राफेल सौदे पर दिए गए बयान से बढ़े विवादों के बीच, फ्रांसीसी विमानन कंपनी दसॉल्ट ने राफेल सौदे पर रिलायंस समूह को लेकर अपना बयान जार किया है. दसॉल्ट एविएशन ने कहा कि इस समझौते में कोई और नहीं दसॉल्ट कंपनी ने ही रिलायंस को अपना डिफेंडर चुना था. जिसकी वजह 2016 में रक्षा खरीद प्रक्रिया के नियम हैं, कंपनी ने उसी नियम का अनुपालन किया है और रिलायंस को चुना है. यह एक सुरक्षा सौदा ज़रूर था, लेकिन यह अलग तरह का सौदा था, जिसके तहत दसॉल्ट को इस डील का 50 प्रतिशत धन भारत में ही निवेश करना होगा, जिसके लिए 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट के तहत रिलायंस के साथ साझेदारी करने का फैसला लिया है. इस साझेदारी से कंपनी 'दसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड' (डीआरएएल) की शुरुआत फरवरी 2017 में हुई है. दसॉल्ट ने यह भी बताया कि वह रिलायंस के साथ मिलकर नागपुर में फाल्कन और राफेल के मैन्युफैक्चरिंग पार्ट्स के लिए एक संयंत्र बनाय है और नागपुर को ही इसलिए चुना गया कि हवाईअड्डे से लगी हुई जमीन होने से सामन पहुंचाने और विमानों कि मरम्मत करने में कोई दिक़्क़त नहीं आएगी. इस समझते पर केवल रिलायंस ने नहीं ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट के रूप में अन्य कई कंपनियों ने भी अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं.

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बतादें कि फ़्रांस से आई इस खबर पर सरकार की तरफ से पुनः दोहराया गया कि इन सब से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है, यह दो निजी कंपनियों के बीच का मामला है. वहीं राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर कारोबारी दोस्त को फायदा दिलाने के लिए हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को इस सौदे से बाहर करने का आरोप लगा रहा है .

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