महावीर जयंती : तीर्थंकर भगवान महावीर के 5 अनमोल वचन
महावीर जयंती : तीर्थंकर भगवान महावीर के 5 अनमोल वचन
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भगवान महावीर जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे. महावीर जयंती का पर्व जैन समुदाय में बड़ा पर्व माना जाता है. बचपन में महावीर का नाम वर्धमान था. महावीर शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे बावजूद इसके उन्होंने राजमहलों का शाही सुख त्यागकर तपोमय साधना का रास्ता चुन लिया. साढ़े बारह वर्षो तक महावीर ने साधना-जीवन कष्टों में गुजारा था. महावीर जयंती को कई स्थानों पर महावीर स्‍वामी जन्‍म कल्‍याणक भी कहा जाता है. महावीर ने चार तीर्थो की स्थापना की हैं और ये चार तीर्थ हैं- साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका. इसलिए महावीर 'तीर्थंकर' के नाम से भी जाने जाते हैं.

आज महावीर जयंती पर हम आपको भगवान महावीर के कुछ अनमोल वचन के बारे में बता रहे है-

-मनुष्य के दुखी होने की वजह खुद की गलतियां ही है जो मनुष्य अपनी गलतियों पर काबू पा सकता है वही मनुष्य सच्चे सुख की प्राप्ति भी कर सकता है.

-आपात स्थिति में मन को डगमगाना नहीं चाहिये.

-आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है.

-खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है.

-आपने कभी किसी का भला किया हो तो उसे भूल जाओ. और कभी किसी ने आपका बुरा किया हो तो उसे भूल जाओ.

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