पंजाब सरकार द्वारा थर्मल प्लांट बंद करने का फैसला
पंजाब सरकार द्वारा थर्मल प्लांट बंद करने का फैसला
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1974 में स्थापित बठिंडा थर्मल प्लांट की उम्र पूरी हो चुकी है और पिछली सरकार ने राजनीतिक कारणों से इस थर्मल प्लांट को बचाने के लिए 2012 से 2014 तक 700 करोड़ रुपये खर्च डाले. पंजाब सरकार के बठिंडा और रूपनगर थर्मल प्लांट बंद करने की घोषणा कर दी. जिससे राज्य में सियासी बवाल खड़ा हो गया है. विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और अकाली दल दोनों पार्टियों ने लोगों को भरोसा दिलाया था कि थर्मल प्लांट बंद नहीं होंगे, लेकिन अब हजारों करोड़ रुपये के घाटे की बात करके अचानक थर्मल प्लांट बंद कर दिए हैं.

सालाना 1300 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा था. उनके मुताबिक बठिंडा थर्मल प्लांट में पैदा हो रही बिजली की लागत 11 रुपये प्रति यूनिट आ रही थी, जबकि खुले बाजार में बिजली महज ढाई रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से उपलब्ध है. सरकार का यह भी तर्क है कि कोयले की खदानें पंजाब से काफी दूर हैं, जिसके कारण बिजली उत्पादन महंगा हो गया था. उधर, थर्मल प्लांट के सहारे वोट बटोरने वाले अकाली दल ने कांग्रेस सरकार के फैसले को पंजाब विरोधी बताया है.

पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि थर्मल प्लांट बंद होने से राज्य में बिजली का संकट गहरा सकता है. अकाली दल के अलावा आम आदमी पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने भी पंजाब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और सरकार से मांग की है कि, वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करें. गौरतलब है कि थर्मल प्लांट बंद होने से 5000 लोगो की रोज़ी-रोटी छीन जाने का भी सवाल है.

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