हाल ही में चंद्रबाबू नायडू को पीवी सिंधु के साथ मंच पर बैडमिंटन खेलते हुए देखा गया है. आज सब सिंधु की इस सफलता का जश्न मना रहे है. कही से इनामो की बौछार हो रही है तो कही कुछ और. लेकिन क्या ये सब ओलिंपिक के पहले भी ऐसा ही था?
जी हाँ, यह एक बहुत बड़ा सवाल है जो आपको इसकी हद तक सोचने पर मजबूर कर देगा. क्योकि जब ये खिलाडी किसी भी समारोह का रुख करते है तब इन्हें बहुत सी आलोचनाओ का सामना करना पड़ता है. कोई कहता है कि इस गेम का कोई फ्यूचर नहीं है, तो कोई खिलाडी को सही नहीं बताता है. आज हम CM नायडू सिंधु के मैडल जितने पर उनके साथ मंच पर बैडमिंटन खेलने तक को तैयार हो गए है.
लेकिन क्या क्या सिधु के वहां जाने के नाम पर भी उनके दिल में इतना ही सम्मान था. आज वे सिंधु के प्रति सम्मान सभा का आयोजन कर रहे है, लेकिन यह भी कही किसी गन्दी राजनीती की साजिश मात्र ही तो नहीं है. या बाबु जी फिर से वोटबैंक की राजनीती कर रहे है.
क्योकि पिछले लंबे समय से हमने खिलाड़ियों को राजनीती का शिकार होते हुए देखा है. जिस कारण क्या सच है और क्या दिखावा इसपर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है. इसी दलदल में हमारा यह विडियो शायद कारगर साबित हो. तो चलिए देखते है क्या है इस विडियो में खास.