चंपारण्य में देशभर से लोग प्रभु के दर्शन के लिए आते है
चंपारण्य में देशभर से लोग प्रभु के दर्शन के लिए आते है
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महाप्रभु वल्लभाचार्य की प्रकट स्थली छत्तीसगढ़ के चंपारण्य में देशभर से लोग दर्शन करने आते हैं. चंपारण की खास बात ये है कि यहां प्रभु वल्लभाचार्य की पूजा और आराधना उसी तरह की जाती है जिस तरह बृज में भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है. पूजा-पाठ का नियम भी लगभग एक सामान है. 

प्रतिवर्ष बैसाख कृष्ण की एकादशी जिसे वरूथिनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन महाप्रभु वल्लभाचार्य का प्राकट्य दिवस भक्त बड़ी अच्छी तरह मनाते है. रायपुर से 25 किलोमीटर अभनपुर और फिर 20 किलोमीटर राजिम और राजिम से मात्र 5 किलोमीटर दूर चंपारण्य स्थित है. हरे-भरे वृक्षों के साये तले चंपेश्वर महादेव का ऐतिहासिक मंदिर भी यहां है. 

महाप्रभु वल्लभाचार्य के शिष्य देशभर में हैं, जिन्हें पुष्टि पंथ या वैष्णव संप्रदाय के नाम से भी जाना जाता है. महाराष्ट्र और गुजरात से भक्त ज्यादा आते हैं. प्रभु वल्लभाचार्य के देशभर में 84 बैठकें हैं, जहां उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता का पारायण किया था. इनमें से प्रमुख बैठक मंदिर चंपारण्य को माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि महाप्रभु ने अपने जीवनकाल में तीन बार धरती की परिक्रमा की थी. इस मंदिर के प्रति भक्तों कि आपार आस्था है और पूर्ण विश्वास के साथ यंहा आते हैं.    

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