संसद के मानसून सत्र में वेंकैया ने किये दस भाषा में संवाद
संसद के मानसून सत्र में वेंकैया ने किये दस भाषा में संवाद
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दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदस्यों को उनकी अपनी मातृ भाषा में बोलने की आजादी देते हुए खुद बांग्ला, गुजराती, कन्नड, मलयालम, मराठी, नेपाली, उडि़या, पंजाबी, तमिल, और तेलुगू समेत 10 भाषाओं में संवाद किये. जिसका पूरे सदन ने मेज थपथपा कर स्वागत किया. राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मण्यम उठ खड़े हुए और उन्होंने कहा कि आठवीं अनुसूची की ज्यादातर भाषाओं का उद्भव संस्कृत से हुआ है. इसलिए अपनी भाषाओं में बोलते हुए संस्कृत के ज्यादा से ज्यादा शब्दों का उपयोग करें.

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सभापति नायडू ने कहा कि यह माननीय सदस्य की इन बातों को केवल सलाह के तौर पर लिया जाए. राज्यसभा में अब सदस्य अपनी बात कहने के लिए अपनी ही भाषा का उपयोग कर सकते है. 18 जुलाई से शुरु हुए मानसून सत्र से संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज सभी 22 भाषाओं में राज्यसभा के सदस्य अपनी बात कह सकते है.

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सदन में चर्चा के दौरान फिलहाल 17 भाषाओं के अनुवादक ही उपलब्ध थे. इस फैसले के पीछे नायडू का मानना है कि व्यक्ति अपनी अभिव्यक्ति को मातृभाषा में ही बिना हिचक सही तरीके से कह सकता है. संसद जहां पूरा देश के निर्वाचित प्रतिनिधि पहुंचते है. सदन बहु भाषी होता है. सांसदों को अपनी भाषा के नाते किसी तरह की मुश्किल का सामना नहीं करना पडऩा चाहिए.


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