पद्मावत ही एक मुद्दा है, बाकि सब कुशल मंगल
पद्मावत ही एक मुद्दा है, बाकि सब कुशल मंगल
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अभी कल ही हम 69 वां गणतंत्र दिवस मना कर खुद को बड़ा गौरान्वित महसूस कर रहे है. करना भी चाहिए. क्योकि आजादी के इतने साल बाद आखिर देश में कानून व्यवस्था सुचारु रूप से लागु हो चुकी है. शांति और अमन का माहौल है. हा सिर्फ एक मुद्दा है जो एक फिल्म के समर्थन और विरोध से जुड़ा है. बहरहाल देश को चलाने वाली सरकार उसे भी निपटा लेगी. बाकि देश का किसान खुशहाल है. शिक्षा की उत्तम फैसिलिटी गांव गांव तक पहुंच गई है, स्वास्थ सेवाएं इस कदर उन्नत कर दी गई है कि देश के अस्पतालों में ताले लगे है, क्योकि कोई बीमार ही नहीं पड़ रहा.

 हा एक चीज और महंगाई क्या होती है, गरीबी और भूखमरी सुने-सुने शब्द है पर भारत में किसी को इनके बारे में ठीक से पता नहीं है. पडोसी देशो से सम्बन्ध इतने मधुर कभी न थे. सड़कों के हाल विदेशी सड़को से बेहतर है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर आखों पर चाहे आम आदमी हो या खास कानून सबके लिए बराबर है. बेरोजगारी का नामोनिशान मिट चूका है. भ्रष्टाचारियों का दिवाला निकल गया है. बुनियादी सुविधाएं बुलंदियों पर है. 

निर्भया अब देश में निर्भय हो कर घूम रही है. नारी सशक्तिकरण कर दिया गया है. अब वो अबला न रही. उसे गर्व है देश और कानून पर. क्रांतिकारियों और शहीदों ने आजादी विरासत में दी थी. साथ ही एक सपनों का भारत बनाए जाने का वादा लिया था. वो पूरा कर दिया गया है. बस एक ही मुद्दा है पद्मावत का क्या करे बाकि सब कुशल मंगल है.

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