सिद्धांत और सौदे पर नीतीश की अग्नि परीक्षा
सिद्धांत और सौदे पर नीतीश की अग्नि परीक्षा
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पटना :बीजेपी के युवा नेता अर्जित शाश्वत बिहार सीएम नीतीश कुमार के लिए सिरदर्द बन गए है. फ़िलहाल 7 जिलों में साम्प्रदायिक तनाव फैला हुआ है. भागलपुर की स्थानीय अदालत ने अर्जित के खिलाप वॉरंट जारी किया है जिसके बाद से वह फरार हैं. वह केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे हैं. अर्जित को बचाने के लिए कई बीजेपी नेताओं ने नीतीश से मिन्नतें की. नीतीश ने सीधा जवाब दिया कि कानून अपना काम करेगा. नीतीश की परेशानी यहां खत्म नहीं हूई. जिस दिन पटना में भगवान राम की शोभा यात्रा में नीतीश ने बीजेपी नेताओं के साथ हिस्सा लिया उसी दिन अर्जित ने भी पटना में एक इंटरव्यू दे दिया. इस मौके का फायदा विपक्ष में बैठी आरजेडी और कांग्रेस ने जमकर उठाया.

लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा, “नीतीश कुमार बीजेपी के स्पेयर टायर हो गए हैं. पार्टी अपनी जरूरत के हिसाब से नीतीश का इस्तेमाल करती है.” उपचुनाव नतीजे आने के बाद से ही माहौल तनावपूर्ण हो गया था. अररिया में एक वीडियो वायरल हो गया था जिसमें कुछ युवा एंटी-नेशनल नारे लगा रहे थे, वहीं दरभंगा में एक चाय बेचने वाले का सिर काटने की घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था. इसके बाद राम नवमीं से महज एक दिन पहले भागलपुर से साम्प्रदायिक झड़प की खबरें आई. सामने आया कि अर्जित ने राम नवमीं के मौके पर अल्पसंख्यक बहुल इलाके में बाइक रैली निकाली. इस दौरान अल्पसंख्यकों के लिए अपमानजनक नारे भी लगाए गए जिसका स्थानीय नागरिकों ने विरोध किया. कुछ देर में यह घटना झड़प में तब्दील हो गई. इसके बाद औरंगाबाद, नालंदा, मुंगेर, आरा और समस्तिपुर में माहौल तनावपूर्ण बने हुए हैं. नीतीश कुमार ने प्रभावित जिलों में भारी सुरक्षाबल की तैनाती करवाई है और वह खुद स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.

बीजेपी अब खुले तौर पर अर्जित का समर्थन कर रही है और पुलिस के एक्शन को गलत बता रही है. गिरिराज सिंह के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री राम कृपाल यादव ने कहा कि अर्जित को फ्रेम किया गया है और उसे न्याय मिलेगा. अब नीतीश कुमार के पास बहुत कम ऑप्शन हैं. भ्रष्टाचार और साम्प्रदायिकता से सामान्य दूरी बनाकर चलने की बात नीतीश के लिए कहना भले ही आसान हो पर करना काफी मुश्किल है. पिछले साल 27 जुलाई को आरजेडी-कांग्रेस से गठबंधन तोड़ बीजेपी से हाथ मिला नीतीश कुमार अपनी थोड़ी चमक पहले ही खो चुके हैं.

एनडीए में नीतीश की वापसी ने यह तो सुनिश्चित कर दिया कि अब आगे वह बीजेपी के साथ ही रहेंगे लेकिन अपनी शर्तों पर नहीं. साल 2013 से पहले जब नीतीश कुमार ने आठ सालों तक बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार चलाई तब वह बीजेपी से अपनी शर्तों पर जुड़े थे. वही भागलपुर में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के मामले में केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत को लेकर बिहार में जेडीयू के के दिग्गज नेता और नीतीश कुमार के करीबी केसी त्यागी ने कहा है कि अश्वनी चौबे के बेटे की गिरफ्तारी और सरेंडर न करने की सूरत में NDA गंठबंधन पर JDU दोबारा विचार करने तक की बात कह दी थी. 

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