कच्चे दूध का सेवन से टीबी के बैक्टीरिया आपके शरीर में भी प्रवेश कर सकते हैं. सही समय पर इलाज न मिले तो व्यक्ति को आंतों की टीबी हो सकती है. गाय और भैंसों में भी टीबी की बीमारी पाई जाती है. उनके थनों में यह बैक्टीरिया चिपक जाता है. सांसों से संचारित होने वाला यह बैक्टीरिया दुधारू पशुओं की सांसों से उनके पेट में पहुंच जाता है. पशुपालक जब दूध निकालते हैं, तो दूध के साथ यह बैक्टीरिया दूध निकालने वाले पात्र में भी चला जाता है.
यदि कोई व्यक्ति कच्चे दूध का सेवन करता है, तो टीबी के बैक्टीरिया दूध के साथ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर आंतों की टीबी को जन्म देते हैं.
हमारे शरीर में अम्ल और क्षार का नियंत्रण में रहना बहुत जरुरी होता है. वहीं कच्चा दूध शरीर में अम्ल बढ़ाते हैं. जो कि हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक है. इससे एसिड बनता है और आपके सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है. दूध कई बीमारियों को दूर करता है, लेकिन ये कई बीमारियों को न्यौता भी देता हैं. कई लोगों को दूध की वजह से एसिडिटी होती है और इसकी वजह से कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.