ताश के पत्ते की तरह ढह गया काष्ठमंडपम, पार्थिव लिंग को नहीं हुआ नुकसान
ताश के पत्ते की तरह ढह गया काष्ठमंडपम, पार्थिव लिंग को नहीं हुआ नुकसान
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काठमांडू : बीते शनिवार को नेपाल में आए भूकंप में जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया। नेपाल के भवन ताश के पत्तों की तरह ढह गए। लोगों को केवल बाबा पशुपतिनाथ से आस लगी थी कि वे ही विपदा में उनकी सुनेंगे। सभी एक साथ प्रार्थना कर रहे थे हे नाथ अब तुम ही संकट की इस घड़ी से रक्षा करो। लोगों की चीत्कार के बीच आवाज़ें आ रही थीं बचा ले भगवान, बचा ले पशुपति नाथ बचा ले। रीक्टर स्केल पर मापे गए 7.9 तीव्रता के भूकंप से नेपाल में भवन भरभराकर गिरने लगे। लोगों के पैरों से जमीन धंसने लगी। हालात ये रहे कि लोग बचने के लिए जगह तलाशते रहे। जो पर्यटक और श्रद्धालु मंदिरों में थे उन्हें भी राहत नहीं मिली लेकिन इतना जरूर था कि प्राकृतिक आपदा ने मंदिर की दीवारें ढहाई मगर जिस पाषाण में ईश्वर प्रतिष्ठापित था उसे कुछ नहीं हुआ।

काठ का लोकप्रिय मंदिर जिसके नाम पर काठमांडू का नाम रखा गया वह काष्ठमंडपम भी ढह गया। लकड़ी का बना यह मंदिर करीब 16 वीं सदी का है। मंदिर के साथ ही यहां लोकप्रिय भीमसेन टाॅवर भी जमींदोज़ हो गया। यहां तो भूकंप के पहले झटके के बाद नीचे आ रहे लोगों को बहुत मुश्किल उठानी पड़ी। जो लोग बच गए वे आफ्टर शाॅक से दहल उठे। जो लोग यहां मलबा निकालकर लोगों को बाहर निकाल रहे थे वे किसी तरह अपनी जान बचाकर एक ओर हुए। यही नहीं माता जानकी मंदिर का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया।

कहा जाता है कि माता का जन्म नेपाल में ही हुआ था। दूसरी ओर तलेजू मंदिर, हरिशंकर मंदिर, उमा महेश्वर मंदिर, चार नारायण मंदिर आदि क्षतिग्रस्त हो गए। सरकार को अब इन मंदिरों को नए सिरे से ठीक करना होगा दूसरी ओर आपदा का दौर थमने के बाद यहां विधिवत पूजन और शांति की कामना भी की जाएगी।

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