मेरे पिता की विरासत सीएम की कुर्सी नहीं, वो इतनी है कि एक कुर्सी में नहीं समा सकती
मेरे पिता की विरासत सीएम की कुर्सी नहीं, वो इतनी है कि एक कुर्सी में नहीं समा सकती
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श्रीनगर : एक बार फिर से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी के गठबंधन में सरकार बनाने की उम्मीद जताई है। रविवार को उन्होने कहा कि जम्मू-कश्मीर को लोगों की भलाई के लिए वो धारा के विपरीत जाने से भी नहीं हिचकेंगी। पार्टी के सदस्यता अभियान के मौके पर महबूबा ने कहा कि उनके पिता दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद बने बनाए रास्ते पर चलने में यकीन नहीं करते थे।

उन्होने कहा कि यदि परिस्थिति की मांग रही तो मैं भी अपने पिता के नक्शे-कदम पर चलने में नहीं हिचकुंगी। आपको समझना चाहिए की मेरे पिता ने पीडीपी का गठन क्यों किया। वो कभी भी आसान रास्तों के राही नहीं रहे बल्कि उन्होने खुद रास्ते बनाए है और जिन रास्तों पर कदम रख देते थे, वहां से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते थे, फिर चाहे कितनी भी मुश्किलें हो।

महबूबा ने अपने पिता के संबंध में कहा कि वो कभी भी किसी बात को एक दिन सही और अगले ही दिन गलत नहीं कहा करते थे। उन्होने कहा कि जब से मेरे पिता की मृत्यु हुई है, पिछले डेढ़ माह से मैं केवल यही सुन रही हूं कि मुझे मुख्यमंत्री की कुर्सी मेरे पिता से विरासत में मिली है, इसलिए मुझे इसे स्वीकार करना चाहिए। महबूबा ने कहा कि मेरे पिता की विरासत कुर्सी नहीं है।

उनकी विरासत इतनी बड़ी है कि वो एक कुर्सी में नहीं समा सकती। उनकी विरासत साहस, ताकत और लोगों के लिए प्यार है, जो हमेशा उनके दिल में रहा। उनकी विरासत उन रास्तों पर चलना है, जिस पर चलने से लोग डरते है। कश्मीर मसले का जिक्र करते हुए महबूबा ने कहा कि कश्मीर मसले का हल बंदूक से नहीं बल्कि बातचीत से होगा।

महबूबा ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि बीजेपी इस बात को समझ गई है, जिस बात को मेरे पिता पाकिस्तान से संवाद के सिलसिले में कहा करते थे।

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