महत्वपूर्ण होती है मलमास में आने वाली एकादशी
महत्वपूर्ण होती है मलमास में आने वाली एकादशी
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दिसंबर माह यूं ही किसी न किसी आयोजन के लिए जाना जाता है। इस माह कई सारे उत्सवों का आयोजन होता है तो दूसरी ओर क्रिसमस और अन्य पर्व भी विभिन्न धर्म और समुदायों द्वारा मनाए जाते हैं। मगर हिंदू धर्म में भी सर्दियों का यह सबसे बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि हिंदू पंचांग अंग्रेजी कैलेंडर से अलग चलता है और इसमें पंद्रह पंद्रह दिन की अवधि का एक पक्ष होता है।

हिंदू पंचांग के मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यूं तो हिंदू मान्यताओं में एकादशी तिथि ही बेहद पवित्र होती है और एकादशी की तिथि पर भगवान श्री कृष्ण और भगवान विष्णु जी की आराधना की जाती है। इस तिथि पर वैष्णव मंदिरों में पूजन होता है इस मास के बाद कृष्ण पक्ष की एकादशी भी बेहद शुभ होती है। शुक्ल पक्ष की एकादशी 10 दिसंबर को आ रही है तो दूसरी ओर कृष्ण पक्ष की एकादशी 24 दिसंबर को आ रही है।

इस एकादशी को पाप मोचनी एकादशी भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने और भगवान की आराधना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। वैसे ठंड के इस मौसम में लगभग इस समय मलमास होता है। मलमास के दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य जैसे गृहप्रवेश, विवाह आदि कार्य नहीं किए जा सकते हैं। मल मास 3 वर्ष बाद बनने वाली तिथियों के योग से बनता है। इसे अधिक मास के तौर पर भी जाना जाता है।

गौरतलब है कि सौर मास 12 होते हैं और ज्योतिष की मान्यता के अनुसार राशियां भी 12 होती हैं। ऐसे में दो पक्षों में संक्रांति नहीं होती। तब मलमास का योग होता है। ऐसी स्थिति 32 माह 16 दिन में एक बार होती है और ऐसे हालात प्रति तीसरे वर्ष में बनते हैं। इस मलमास में भगवान शिव और विष्णु जी का पूजन अच्छा होता है। इस मास में आने वाली एकादशी भी बहुत महत्वपूर्ण होती है।

 

 

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