सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय ने मेंटिनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरंट्स एंड सीनियर सिटीजन ने 2007 के एक बिल में संसोधन कर एक अच्छी पहल की है जिसके तहत बच्चों के द्वारा प्रताड़ित किये गए माँ-बाप को अब राहत मिलने जा रही है, इस बिल के अनुसार पूर्व में माँ-बाप को परेशान करने के लिए 3 महीने की सजा का प्रावधान था जो अब 6 महीने कर दिया गया है.
देश की सरकार ने एक अच्छी पहल के तहत इस कानून को बदल दिया है जिसमें सजा के साथ-साथ उन बूढ़े माँ-बाप को राहत की साँस मिलेगी जो अपनी औलादों के द्वारा प्रताड़ित किये जाते रहे है, इस बिल में पहले माँ-बाप को औलाद के द्वारा दी जाने वाली एक रकम अधिकतम 10000 रूपये महीना तय जिसमें संसोधन कर अब आय के हिसाब से माँ-बाप को खर्च का पैसा मिलेगा, मतलब किसी की आमदनी अगर ज्यादा है उसे ज्यादा मदद करनी होगी.
इसके साथ ही एक और बदलाव के तहत पहले सजा का प्रावधान केवल सगे बच्चों के लिए था जिसे अब बदल दिया गया है, अब ऐसे बच्चे जो माँ-बाप के सगे नहीं है लेकिन फिर भी अभिभावक के तौर पर उनके पेरेंट्स के भूमिका निभाने वाले और बचपन से संतान के रूप में पालन पोषण करने वाले बच्चों पर भी यह बिल लागू होगा अब तक ऐसे लोग सजा से वंचित रह जाते थे.
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