भगवान महावीर के दिव्य सिद्धांत
भगवान महावीर के दिव्य सिद्धांत
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भगवान महावीर उस युग में पैदा हुए जब वैदिक क्रियाकांडों का बोलबाला था। धर्म के नाम पर अनेकानेक धारणाएं हमारी संस्कृति में रची बसीं थीं, जिनके कारण लोग स्वावलंबी न होकर ईश्वर के भरोसे बैठे रहते थे और शूद्र, उच्चवर्ग के अत्याचारों से कराह रहे थे।

तीर्थंकर महावीर ने प्रतिकूल वातावरण की कोई परवाह न कर साहस के साथ अपने सिद्धांतों को जनमानस के बीच रखा। उन्होंने ढोंग, पाखंड, अत्याचार, अनाचारत व हिंसा के नकारते हुए दृढ़तापूर्वक अहिंसक धर्म का प्रचार किया।

महावीर स्वामी ने समाज को अपरिग्रह, अनेकांत और रहस्यवाद का मौलिक दर्शन समाज को दिया। कर्मवाद की एकदम मौखिक और वैज्ञानिक अवधारणा महावीर ने समाज को दी। उस समय भोग-विलास एवं कृत्रिमता का जीवन ही प्रमुख था, मदिरापान, पशुहिंसा आदि जीवन के सामान्य कार्य थे। बलिप्रथा ने धर्म के रूप को विकृत कर दिया था।

भगवान महावीर ने वर्षों से चली आ रही सामाजिक विसंगतियों को दूर कर भारत की मिट्टी को चंदन बनाया। वास्तव में महावीर के व्यक्तित्व को प्राप्त कर भारत की धरा पुलकित होने लगी थी।

महावीर ने मानवीय गरिमा के संदर्भ में कहा है जो भी प्राप्त करना है, अपने पराक्रम से प्राप्त करो। किसी से मांग कर प्रार्थना करके, हाथ जोड़कर प्रसाद के रूप में धर्म प्राप्त नहीं किया जा सकता। धर्म मांगने से नहीं, स्वयं धारण करने से मिलता है। जीतने से मिलता है। जीतने के लिए संघर्ष आवश्यक है। समर्पण जरूरी है।

अपने अहंकार को त्यागकर समग्रता देने में समर्थ होना जरूरी है। महावीर कोई उपदेशक, विचारक या चिंतक नहीं थे, बल्कि उन्होंने अपने आचरण से अपने विचारों को कार्यरूप में परिणित किया था।

महावीर का मार्ग भक्ति का नहीं, ज्ञान और कर्म का मार्ग है। आत्मकल्याण के लिए हमें आत्मजागरणपूर्वक अपनी चैतन्यता को जाग्रत करना चाहिए। अपनी हीनता, असहायता और दुर्बलता के बोध को विसर्जन कर देना चाहिए यही महावीर स्वामी के मार्ग का अनुगमन है।

भगवान का सूत्र वाक्य है आत्म ज्ञानी बनो, उनके इस उद्घोषक का अर्थ है। हमें स्वयं के भीतर झांकना होगा। अपनी आंतरिक शक्तियों का जागरण ही। आत्मबोध की ओर अग्रसर करता है। महावीर कहते हैं कि तुम बाहरी शत्रुओं से लड़ो, क्रोध, मान, माया, लोभ जैसी दुष्टप्रवृत्तियों को जीतो, मनवचन और कार्य से व्यवहार करो, तो तुम महान बनोगे और तुम्हारा भी कोई शत्रु नहीं रहेगा।

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