धारा 377 पर जीत के बाद भी ख़त्म नहीं हुई है LGBTQ की मुश्किलें
धारा 377 पर जीत के बाद भी ख़त्म नहीं हुई है LGBTQ की मुश्किलें
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नई दिल्ली: LGBTQ समुदाय ने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 पर विजय प्राप्त कर ली है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार अब आपसी सहमति से दो लोग यौन सम्बन्ध बना सकते हैं, इस अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा. हालाँकि, अदालत ने नाबालिग के साथ यौन सम्बन्ध और पशुओं के साथ यौन सम्बन्ध को अब भी अपराध की केटेगरी में रखा है, जो कि सही भी है, अदालत के इस फैसले के बाद  देश और दुनिया में हर जगह, मानवाधिकार कार्यकर्ता, सेलिब्रिटी और समलैंगिक लोगों ने जम कर जश्न मनाया.

अदालत के इस फैसले के बाद कई समलैंगिक लोगों ने अपनी राय साझा की है. खुद को खुल्लमखुल्ला ‘गे’ बताने वाले और बेंगलुरु में मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले 32 बरस के रोमल सिंह कहते हैं, 'देश की सबसे ऊंची अदालत आपको ये अधिकार दे रही है और कह रही है, ‘सुनो, समाज और तुम्हारा परिवार चाहे जो कहे, तुम लोग जो कर रहे हो, वह गलत नहीं है,’ कम से कम देश के कानून की तो यही राय है.' कैलिफोर्निया में रहने वाले भारतीय मूल के ऋषि साथवाने कहते हैं कि अद्भुत महसूस हो रहा है आज. जैसे समलैंगिकों पर से शर्मिंदगी का बोझ हटाया रहा हो.' अमेरिका में रहने वाले साथवाने समलैंगिक हैं और हाल ही में इसलिए खबरों में थे क्योंकि पिछले साल दिसंबर में उन्होंने महाराष्ट्र के यवतमाल में अपने गे पार्टनर से शादी कर ली थी.

लेकिन अभी समस्या ख़त्म नहीं हुई है
अदालत ने भले ही समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध मानने से इंकार कर दिया हो, लेकिन अब भी समलैंगिक समुदाय को अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए लम्बी लड़ाई लड़नी होगी. इस मामले को कोर्ट तक ले जाने वाले और हमसफर ट्रस्ट के सह-संस्थापक अशोक राव कवि का कहना है कि अदालत का ये फैसला ऐतिहासिक है. किन्तु इस फैसले से भी LGBTQ समुदाय के लोगों को वो अधिकार नहीं मिल पाएंगे, जो सामान्य व्यक्ति को मिलते हैं. अशोक कहते हैं कि इस फैसले के बाद अब सरकार और कानून को शादी, विरासत, यौन शिक्षा, समलैंगिकों के मानसिक और यौन स्वास्थ्य के लिए असली काम करना है. 

क्या शादी का अधिकार मिलेगा ?
शादी के अधिकार के बारे में बात करते हुए अशोक ने कहा कि भारत में शादी के लिए अलग-अलग कानून हैं. जो अलग-अलग धर्म के अनुसार चलते हैं, इन कानूनों के मुताबिक शादी सिर्फ एक मर्द और औरत के बीच ही की जा सकती है. उन्होंने कहा कि ईसाई कानून और इस्लामी कानून के तहत समलैंगिक विवाह को पाप माना जाता है. साथ ही इस्लामी कानून शरिया, बच्चा गोद लेने के लिए भी मना करता है. अशोक ऐसे में सवाल उठाते हैं कि क्या समलैंगिकों की शादी के लिए 'स्पेशल मैरिज एक्ट' लाया जाएगा, साथ ही अगर दो समलैंगिक लोग शादी कर बच्चे को गोद लेना चाहते हैं तो इसके लिए क्या उपाय किया जाएगा. अशोक का कहना है कि भले ही धारा 377 में संशोधन कर दिया गया है, लेकिन अभी सरकार को इस समुदाय के लिए काफी काम करना है.

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