कोलारस-मुंगावली महज उपचुनाव नहीं रहे
कोलारस-मुंगावली महज उपचुनाव नहीं रहे
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भोपाल: देश में अब उपचुनाव को कोई भी पार्टी हलके में नहीं ले रही है, सूबे में होने वाले इन चुनावों को कही 2019 से जोड़ा जा रहा है तो कही शक्ति प्रदर्शन का माध्यम माना जा रहा है. इसी क्रम में मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल की कोलारस और मुंगावली विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव भी बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गये है. सूबे के दो बड़े नेताओं बीजेपी से सीएम शिवराज और कांग्रेस के ज्योतिरादित्य की शान का सवाल बन चुके ये उपचुनाव फ़िलहाल प्रदेश की राजनीती का केंद्र बन गए है.

उपचुनाव को मिलने वाली ये तवज्जो यु ही नहीं है. ये सब कुछ शक्ति प्रदर्शन, आगामी तैयारी और आला कमान को सूबे में खुद का रुतबा दिखाने के मंच के रूप में किया जा रहा है और साथ ही आत्म संतुष्टि का समावेश भी इस सारी जद्दोजहद में शामिल है. कोलारस और मुंगावली विधानसभा सीट कांग्रेस के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में आने से पेंच और तगड़ा हो गया है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उपचुनाव जीतने का मास्टर कहा जाता है, तभी तो सबसे जयादा उपचुनाव जीतने का रिकॉर्ड सूबे के मुखिया के नाम है. इन चुनावों को विधानसभा चुनाव के पहले सेमीफाइनल के रूप में भी देखा जा रहा है. बहरहाल दोनों तरफ से पुरजोर कोशिशें जारी है और ऊंट किस करवट बैठेगा ये देखना दिलचस्प होगा.

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