May 16 2018 08:00 AM
कर्नाटक चुनाव के रोमांचक नतीजों के बाद पत्ते अभी खुले नहीं है. मगर ये इशारा है बीजेपी के प्रयासों के सफल होने का और असफलता के करने पर काम करने का. इन चुनावों का एक बड़ा संदेश यह है कि बीजेपी के लिए 2019 की राह आसान नहीं है.
मंगलवार सुबह रुझान आते ही बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया था, लेकिन दोपहर तक जब ट्रेंड में थोड़ा बदलाव आया तो कार्यकर्ताओं-नेताओं में चुप्पी छा गई. बहुमत के आंकड़े से कुछ सीटें कम होने की वजह से जश्न फीका हो गया. कांग्रेस ने बिना किसी देरी के जेडी एस को समर्थन देने की घोषणा कर दी. वह तो कुमारस्वामी को सीएम बनाने के लिए भी तैयार हो गई.
तो इस तरह से बीजेपी को उसी के खेल से मात देने की कोशिश की जा रही है. मोदी-शाह की जोड़ी हार को रातोरात जीत में बदलने में माहिर है. लेकिन अब ऐसा लगता है कि कहानी पलट गई है. मोदी-शाह की जोड़ी के लिए कर्नाटक चुनाव का एक बड़ा संदेश है-विपक्ष समझदार हो गया है, वह उनकी अजेय दौड़ को रोकने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. बहरहाल बीजेपी-कांग्रेस-जेडीएस तीनों दौड़ में शामिल है.
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