जगन्नाथ रथ यात्रा के रथ निर्माण का पौराणिक महत्त्व
जगन्नाथ रथ यात्रा के रथ निर्माण का पौराणिक महत्त्व
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इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई से शुरू हो रही है. इस यात्रा के दौरान जगन्नाथ जी जीस रथ पर सवार होते है. उसका किस तरह निर्माण होता है आइए जानते है उसके बारे में कुछ रोचक तथ्य. भगवान का  यह रथ 45 फीट ऊँचा, 35 फीट चौड़ा तथा 35 फीट लम्बा होता हैं, जिसमें 16 पहिये होते हैं. इसी तरह सुभद्रा जी का रथ 43 फुट ऊँचा तथा 12 पहियों वाला होता हैं. आपको बता दें कि इस यात्रा में प्रतिवर्ष नयें रथों का उपयोग किया जाता हैं.

 

भगवान जगन्नाथ जी के रथ के लिए विशेष प्रकार से निर्मित रथों का प्रयोग किया जाता हैं. इन रथों की सबसे खास बात यह होती हैं, कि इनकें निर्माण में धातु का कण भर भी उपयोग नही किया जाता है. सम्पूर्ण रथ सामग्री को नीम के वृक्ष की लकड़ी से बनाया जाता हैं. इसके निर्माण का जिम्मा मंदिर संचालन समिति द्वारा गठित समिति को ही दिया जाता हैं.

 

बता दें कि यह समिति कई दिन पहले से ही  इस कार्य में जुट जाती हैं, तथा पूर्ण स्वास्तिक नीम के वृक्ष को इस कार्य के लिए चुना जाता हैं, इस पेड़ को आमभाषा में दारु के नाम से पुकारा जाता हैं. हरे व गेरुएँ रंग से निर्मित बलराम रथ को तालध्वज, जगदीश रथ को नदीघोष अथवा गुरुद्ध्वज कहा जाता हैं, जिनमें लाल एवं पीले रंग की प्रधानता होती हैं. वही सुभद्रा जी का रथ नीले व काले रंग से निर्मित रथ  को दर्पदलन’ या ‘पद्म रथ कहा जाता है

क्या आप जानते हैं जगन्नाथ मंदिर की यह खास बातें

जगन्नाथ रथयात्रा: युगों-युगों से चली आ रही धर्मयात्रा

इस वजह से हर साल निकाली जाती है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

 

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