नई दिल्ली : फोर्टिस हेल्थकेयर ने प्रवर्तक भाइयों मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह द्वारा की गई कथित आर्थिक गड़बड़ियों की जांच किसी बाहरी कानूनी संस्था से कराने का निर्णय किया है. यह बाहरी एजेंसी दो प्रमुख बिंदुओं पहला पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी द्वारा कंपनी को दिए गए आंतरिक कॉरपोरेट डिपॉजिट्स (आइसीडी) और दूसरे इंट्रा-ग्रुप व संबद्ध पक्षों के बीच लेनदेन की जाँच करेगी.
उल्लेखनीय है कि सिंह बंधुओं ने गत माह कंपनी के निदेशक बोर्ड से त्यागपत्र दे दिया था. उन पर फोर्टिस हेल्थकेयर के निदेशक बोर्ड की अनुमति के बगैर कंपनी से 473 करोड़ रुपये लेने का आरोप है. यह आर्थिक गड़बड़ी करीब एक वर्ष पहले की बताई जा रही है .
फोर्टिस हेल्थकेयर से मिली जानकारी के अनुसार फोर्टिस ने सामान्य परिचालन के तहत कुछ कंपनियों को 473 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था. बाद में उन कंपनियों की शेयरधारिता में परिवर्तन हुआ और प्रवर्तक मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह फोर्टिस हेल्थकेयर उन कंपनियों के भी मालिक बन बैठे. ऐसे में इस कर्ज को संबंधित पक्षों के बीच लेनदेन की श्रेणी में रखा गया. उधर,फोर्टिस हेल्थकेयर ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी व तीसरी तिमाही के नतीजों में क्रमशः सितंबर, 2017 में 23.61 करोड़ का और दिसंबर, 2017 में खत्म तिमाही में कंपनी का शुद्ध नुकसान 19.10 करोड़ बताया गया.
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