शिमला : हिमाचल प्रदेश की बागडोर अब नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के हाथ में है. जय राम ठाकुर के मुख़्यमंत्री बनने के मायने थोड़े अलग है. इसे अगर ये भी कहा याये की देश की राजनीती में एक बदलाव है जहा ये देखने को मिल रहा है कि बेहद गरीब तमगे से उठ कर आने वाले और जमीन से जुड़े नेताओ की संख्या आज कल सत्ता में बढ़ रही है. धुमल के चुनाव हारने के कारण जयराम ठाकुर के रूप में हिमाचल को तेरहवा मुख्यमंत्री मिला जो अपने दम पर और लगातार कामयाबी की सीढिया चढ़ कर शिखर तक पंहुचा है.
हाल में सत्ता में ऐसे कई नेता है जो आज कही न कही ऊंचे ओहदे पर है लकिन उनकी जड़े आज भी जमीन से जुड़ी है और अपनी मेहनत के दम पर आज उस मुकाम तक पहुंचे है. हिमाचल की सियासत में भले ही कभी जाति के आधार पर राजनीति नहीं हुई, लेकिन ये सच है कि यहां हमेशा राजपूतों का सत्ता में बड़ा दबदबा रहा है.
अगर प्रदेश के पहले छह मुख्यमंत्रियों की बात करे तो इनमें पांच राजपूत और एक ब्राह्राण रहे हैं और अब प्रदेश के नए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर भी राजपूत है. 2011 की जनगणना के मुताबिक हिमाचल में अपर कास्ट की जनसंख्या 50 फ़ीसदी से ज़्यादा है. इनमें राजपूत करीब 32 फ़ीसद और ब्राह्मण करीब 18 फ़ीसद हैं.
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