जब टॉस जीतकर भारत ने जीती राष्ट्रपति की बग्घी
जब टॉस जीतकर भारत ने जीती राष्ट्रपति की बग्घी
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नई दिल्ली : आज़ादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच ज़मीन के अलावा कई चीजों का बंटवारा हुआ. इसमें 'गवर्नर जनरल्स बॉडीगार्ड्स' रेजीमेंट की बग्घी का किस्सा बहुत ही मशहूर है. दरअसल इस खास बग्घी को दोनों ही देश अपने पास रखना चाहते थे. लेकिन आखिर में इसका फैसला सिक्का उछालकर किया और यह बग्घी भारत ने जीत ली.

आपको बता दें कि तत्कालीन 'गवर्नर जनरल्स बॉडीगार्ड्स' के कमांडेंट और उनके डिप्टी ने इस विवाद को सुलझाने के लिए एक सिक्के की मदद ली गई .गवर्नर जनरल्स बॉडीगार्ड्स ने दोनों पक्षों को आमने-सामने लाकर उनके बीच सिक्का उछाला, जिसमें भारत टॉस जीत गया और राष्ट्रपति की शान माने जाने वाली यह बग्घी भारत के हिस्से में आ गई.

उल्लेखनीय है कि 1950 में  पहली बार  गणतंत्र दिवस पर देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद इसी बग्घी में बैठकर समारोह तक गए थे.इस बग्घी में राष्ट्रपति के आने की परंपरा कई सालों तक जारी रही, लेकिन इंदिरा गांधी हत्याकांड के बाद सुरक्षा कारणों से इस परंपरा पर रोक लगा दी गई.राष्ट्रपति बुलेट प्रूफ गाड़ी में आने लगे.

लेकिन 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बदलते हुए बग्घी में बैठकर 29 जनवरी को होने वाली बीटिंग रिट्रीट में शामिल होने पहुंचे.आपको यह बता दें कि राष्ट्रपति की बग्घी के लिए विशेष किस्म के घोड़ों का चयन किया जाता है .भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई घोड़ों की मिक्स ब्रीड के घोड़े उपयोग में लाए जाते हैं.इनकी ऊंचाई आम घोड़ों से ज्यादा होती है, जो बग्घी के अनुकूल रहते हैं.

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