नई दिल्ली: भारत में अधिकांशत: देखा जाता है कि लोगों द्वारा सिनेमा जाने पर बीच में ही फिल्म को रिकॉर्ड करने की आदत होती है और आमतौर पर ऐसा होता भी है। यहां बता दें कि ज्यादातर लोग सिनेमा जाने पर फिल्म के शुरू होते ही उसे अपने फोन में रिकॉर्ड कर लेते हैं या फिर फिल्म के रिलीज होते ही कुछ लोग इसे रिकॉर्ड करके ऑनलाइन अपलोड कर देते हैं। जिसके बाद बहुत से लोग उसे डाउनलोड कर लेते हैं।
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यहां बता दें कि इस प्रकार रिकॉर्ड करके अपलोड करने पर फिल्म कम समय में ही सभी जगह पहुंच जाती है और फिर इसका असर फिल्म की कमाई पर भी पड़ता है। वर्तमान समय में इस गतिविधि को रोकने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सिनेमेटोग्राफ एक्ट 1952 में बदलाव करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं एक अधिकारी के अनुसार वर्तमान में जो कानून है उसमें पायरेसी के खिलाफ कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है। जिसमें फिल्मों को सिनेमा हॉल में गैर कानूनी तरीके से रिकॉर्ड किया जाता है।
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गौरतलब है कि भारत में फिल्मों का निर्माण बहुत ज्यादा लागत में होता है और फिर इस तरह से फिल्मों के लीक होने पर निर्माताओं को काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है साथ ही पायरेसी से फिल्म निर्माताओं के अलावा सरकारी कोष को भी नुकसान पहुंचता है। इसके लिए मंत्रालय को कई सुझाव दिए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि कॉपीराइट एक्ट के अंतर्गत कड़े कानून लाए जाएं और पायरेटिड वेबसाइट को भी ब्लॉक किया जाए। यहां बता दें कि मोशन पिक्चर एसोसिएशन ने मंत्रालय को बताया था कि उनके आंकड़ों के अनुसार करीब 90 फीसदी फिल्में गैर कानूनी तरीके से रिकॉर्ड की जाती हैं।
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