कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
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कार्तिक मास पूरा व्रत और त्योहारों से भरा-पूरा रहता है. कार्तिक मास की एकादशी के बाद आती है कार्तिक पूर्णिमा. इसका भी विशेष महत्व है. इसे त्रिपुरी पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव त्रिपुरासुर नामक असुर का अंत कर त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे. जब शिव ने इस असुर का वध किया तब सभी देवताओं दीप जलाकर खुशियां मनाई थी। इसलिए इस दिन को देव दिवाली के रूप में भी जाना जाता है. पुराणों के अनुसार इस दिन को ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. कार्तिक पूर्णिमा को ही देवी तुलसी का भी अवतरण दिवस माना जाता है.

कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ करने से पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन अन्न, धन एवं वस्त्र दान का बहुत महत्व है. कार्तिक पूर्णिमा को भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने के लिए भी शुभ दिन माना जाता है. सिख संप्रदाय में कार्तिक पूर्णिमा का दिन प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है.

शास्त्रों में इस दिन गंगा स्नान करना सर्वोत्तम माना गया है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर किसी नदी में स्नान करें. यदि ऐसा संभव नहीं हो तो पानी में गंगाजल डालकर भी स्नान कर सकते हैं. इसके बाद धूप-दीप से पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस दिन दान का भी विशेष महत्व रखता है, कहते हैं कि इस दिन किए गए दान का लाभ कई गुना बढ़कर मिलता है.

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