नई दिल्ली: देश में इस समय ठंड बढ़ने से जलवायु परिवर्तन हो रही है और भारत के 151 जिलों के फसल पौधे और पशु जलावायु परिवर्तन के कारण अति संवेदनशील स्थिति में पहुंच चुके हैं। यह बात इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च की वार्षिक समीक्षा में सामने आई है। बता दें कि ये कृषि मंत्रालय से जुड़ी एक विंग है।
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यहां बता दें कि भारतीय कृषि से देश की आधी जनसंख्या को रोजगार मिलता है और देश के आर्थिक उत्पादन का 17 फीसदी यहीं से प्राप्त होता है। वहीं बता दें कि झारखंड में चावल की खेती करने वाले किसान नए कीटों से अपनी फसल की रक्षा करते करते परेशान हो चुके हैं। इससे न केवल आर्थिक तौर पर प्रभाव पड़ रहा है बल्कि समाजिक हिंसा भी पनप रही है। बता दें कि कीड़ों से परेशान झारखंड का माल्टोस आदिवासी समुदाय दूसरे इलाके में जा रहा है।
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गौरतलब है कि देश के एक बड़ा वर्ग किसान के तौर पर भारत को समृद्ध बनाता है। वहीं बता दें कि इस इलाके में संथाल जनजाति के लोग रहते हैं। ऐसे में दोनों समूहों के बीच संघर्ष होने की संभावना जताई जा रही है। आईसीएआर के अनुसार हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती के लिए अब किसान अधिक ऊंचाई पर जा रहे हैं, ताकि पर्याप्त ठंडा मौसम मिल सके। मध्य भारत में फसल तूफान से प्रभावित हो रही है, वहीं पंजाब में 2020 के बाद से तापमान बढ़ रहा है। करीब 28 मिलियन हेक्टेयर में से 9 मिलियन हेक्टेयर गेहूं प्रभावित हुआ है। बता दें कि भारत में मौसम के बदलने से ऐसे ही प्रभाव पड़ रहे हैं।
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