इस गांव में होली पर पुरूष देते हैं पहरा और महिला खेलती हैं होली
इस गांव में होली पर पुरूष देते हैं पहरा और महिला खेलती हैं होली
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अजमेरः होली का त्यौहार नजदीक ही है यह त्यौहार काफी प्राचीन समय से ही प्रचलित है। इस त्यौहार में सभी लोग आपस में दुश्मनी भुलाकर और एक दूसरे के बीच भाई-चारा फैलाते हुए रंग भरी होली खेलते हैं। लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां पर महिलाओं कि तैयारियां तो जोरो-शोरो से जारी हैं। खासतौर पर नव विवाहिताएं और ऐसी महिलाएं जिनके हाल ही में बच्चा हुआ है, कुछ तनाव में भी हैं। ये महिलाएं होली खेलती हैं। लेकिन पुरूष इसी समय पूरे गांव में पेहरा देते हैं। ताकि कोई भी महिलाएं आपस में खलल न पैदा कर सके।

बात अजमेंर के पास बसे हुए एक गांव कि है यहां पर होली का त्यौहार विशेष तौर पर महिलाओं के लिए होता है। इस गांव में महिलाएं होली खेलती हैं। और जितने भी पुरूष होते हैं वह सब पूरे गांव में खड़े होकर पहरे देने का काम करते हैं। होली के त्यौहार पर जितने भी पुरूष और युवा वर्ग हैं वह सब पहरा देने के लिए घर से बाहर निकल जाते हैं। ऐसा नहीं कि यह परंपरा किसी जाति विशेष से जुड़ी है। होली के इस अनोखे जश्न में सभी जातियों की महिलाएं शामिल होती हैं। गांव के लोग बताते हें कि यह पंरपरा काफी समय से हैं। यहां तक कि ग्रामीणों को खुद भी नहीं पता कि इस प्रथा कि शुरूआत कब हुई थी।

जब महिलाएं होली खेल लेती हैं। तब सब महिलाएं गांव के बाहर पहरा दे रहे पुरूषों को ताली बजाकर संकेत देते हुए वापस गांव लौटने का इशारा करती हैं। यहां पर महिलाओं का कहना है कि अपने मायके में होली के दिन हमें घर से बाहर जाने कि भी इजाजत नहीं होती थी। हम और हमारी बहनें बस होली खेलते हुए लोगों को देखा करती थी। हमें शुरू से ही बंद दरवाजे के अंदर ही रहना पड़ता था। लेकिन सुसराल में तो बिल्कुल अलग ही प्रथा है।

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