यदि आप आलसी और सुस्त है तो यह हार्मोंस के असंतुलन का कारण भी हो सकता है
यदि आप आलसी और सुस्त है तो यह हार्मोंस के असंतुलन का कारण भी हो सकता है
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आपको यदि बार-बार बेहद आलस्य और उदास रहते हो, या फिर जिंदगी आपको बेवजह लगने लगे? साथ ही साथ यदि आपने घी, तेल और मीठा खाना छोड़ दिया है उसके बावजूद यदि भी आप मोटी हो रही हैं? क्या आपकी नींद कम हो गई है? यह सारी समस्याएं आपको हार्मोन के असंतुलन के कारण भी हो सकती है।

महिलाएँ होती है ज्यादा प्रभावित

हार्मोंस कोशिका या ग्रंथि द्वारा स्त्रावित होने वाले वे रासायन हैं जो रक्त के जरिए शरीर के अन्य भागों में पहुचाया जाता है। यह हार्मोन का बदलाव पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होता है। महिलाओं में हार्मोस का असंतुलन होने पर वो शारीरिक व मानसिक दोनों स्वास्थ्य से प्रभावित होती हैं। किशोरावस्था के दौरान से ये बदलाव शुरू होते हैं जो 30-40 साल की उम्र के बीच अधिकतर होते हैं।

डाइटिंग

वजन कम करने के चक्कर में गलत तरीके अपनाने के कारण भी महिलाओ में इन हार्मोंस का असंतुलन हो जाता है। क्रेश डाइटिंग करने वाली महिलाएँ ज्यादा मात्रा में प्रोटीन और कम कार्बोहाइड्रेट लेती हैं। ऎसे में उन्हें हार्मोंस में गड़बड़ी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अपनी भूख को दबाने के लिए ये महिलाएं चाय-कॉफी का सहारा लेती हैं जिससे वजन घटने की बजाय ज्यादा बढ़ जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रॉन और टेस्टेस्टेरॉन पर हमारी खुशी, अच्छी नींद, शरीर का तापमान और भूख जैसी गतिविधियां निर्भर करती हैं। इन तीनों में से किसी एक में कमी या ज्यादा बनने की समस्या हो तो स्वास्थ्य गड़बड़ा जाता है।

इसके लिए निवारण

महिलाओ में इस प्रकार की समस्या होने पर वे स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें। इसके चलते महिलाएं नमक कम खाएं औरDepressed पानी ज्यादा पिएं। मेनोपॉज के दौरान शरीर में प्राकृतिक रूप से हार्मोंस बनने कम हो जाते हैं। इस स्थिति में भी डॉक्टर के पास जाना जरूरी हो जाता है। मनोचिकित्सक की सलाह, काउंसलिंग और स्त्री रोग विशेषज्ञ की देखरेख में आइसो फ्लेवॉन लें। यह नेचुरल एस्ट्रोजन होता है जिसे पौधों से तैयार किया जाता है, जो की शरीर में फीमेल हार्मोस की कमी को पूरा करता है। यह सोया, टोफू व पत्तागोभी में पाया जाता है। इसके अलावा कैल्शियम भी लें, इससे मूड सही रहेगा।

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