जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और इसकी मान्यताएं क्या हैं
जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और इसकी मान्यताएं क्या हैं
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होली का त्यौहार प्रचीन काल से हमारे समाज में बड़ी धुमधाम से मनाया जाता हैं। लेकिन हर साल होली के एक दिन पहले होलिका दहन की जाती हैं। होलिका दहन के मुहूर्त और इसकी मान्यताएं जानने से पहले होलिका दहन की कहानी के बारे में बताएगें।

होलिका दहन की कथा-

यह कहानी होलिका और प्रहलाद की हैं। कहानी का आरंभ विष्णु के परम भक्त प्रहलाद के पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप नास्तिक था। उसने अपने पुत्र से विष्णु भक्ति छोड़ने के लिए कई प्रयास किए लेकिन उनके अनेको प्रयासों के बाद भी वह असफल रहे। इससे कुछ ना हो सका तो हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मरवा का निर्णय लिया। लेकिन फिर भी अपने पुत्र को मारने की उसकी कोशिशें असफल रहीं। इसके बाद उसने यह कार्य अपनी बहन होलिका को सौंपा। होलिका को यह वरदान मिला था कि वह कभी जल नहीं सकती। और फिर  होलिका अपने भाई की बात मान कर प्रहलाद को लेकर जलती आग पर बैठ गई। लेकिन प्रहलाद की श्रध्दा के आगे होलिका का वरदान फीका पड़ गया और उस आग में प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ लेकिन होलिका जल कर खाक हो गई। और तब से हिन्दू समाज में इस प्रथा का प्रचलन चलता आ रहा हैं।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और मान्यताएं - 

हर होलिका दहन एक मुहूर्त पर ही आरंभ की जाती हैं, इस साल 2017 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 12 मार्च को शाम 06:31 से लेकर रात 08:23 तक का है। अगले दिन  13 मार्च 2017 को होली खेलना आरंभ किया जाएगा।

होली रंगों और खुशियों भरा त्यौहार है –

बसंत ऋतु के आते ही राग, संगीत और रंग का त्यौहार होली, खुशियों और भाईचारे से अपने रंग-बिरंगी आंचल में सबको समा लेती है। हिन्दुओं के लिए यह त्यौहार हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस पवित्र त्यौहार के कई इतिहासों और पुराणों में वर्णित है, परन्तु हिन्दू धर्म ग्रन्थ विष्णु पुराण में वर्णित प्रहलाद और होलिका की कथा सबसे ज्यादा मान्य और प्रचलित है। इस दिन रंगों से खेलते समय मन में खुशी, प्यार और उमंग छा जाते हैं और अपने आप तन मन नृत्य करते है। दुश्मनी को दोस्ती के रंग में रंगने वाला त्यौहार होली देश का एकमात्र ऐसा त्यौहार है, जिसे देश के सभी नागरिक उन्मुक्त भाव और सौहार्दपूर्ण तरीके से मानते हैं। इस त्यौहार में भाषा, जाति और धर्म सब फिकी पड़ जाती है। 

 

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