भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 लोकसभा में पारित
भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 लोकसभा में पारित
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नई दिल्ली : लोकसभा मानसून सत्र में आज भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 पारित होने के साथ ही नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे भगोड़ों और आर्थिक अपराधियों पर काबू करने के लिए एक बड़ा हथियार देश को मिल गया है. यह विधेयक पूर्व में सरकार द्वारा जारी अध्यादेश की जगह लेगा. इससे पहले ऐसे भगोड़े अपराधियों की सम्पति जब्त करने या उन पर शिकंजा कसने के प्रावधान नहीं थे. और वे आसानी से कानून प्रक्रिया से बच जाते थे. 

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इस विधेयक के द्वारा किसी ऐसे व्यक्ति को एफईओ घोषित करने की इजाजत दी जाती है यदि (i) उस व्यक्ति के ख़िलाफ़ 100 करोड़ रु से अधिक के आर्थिक अपराध के लिए एक गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है (ii) उस व्यक्ति ने देश छोड़ दिया है और फिर उसने देश में आने से इनकार कर दिया है. अगर किसी व्यक्ति को एफईओ घोषित कर दिया जाएगा तो ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार उस व्यक्ति की संपत्ति जब्त कर सकती है. इतना ही नहीं एफईओ या उससे सम्बंधित किसी भी कंपनी को दीवानी न्यायालय में मुक़दमा दर्ज करने या दर्ज मुकदमों का बचाव करने से भी रोका जा सकता है. 

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लोकसभा में आज इस विधेयक पर बहस के दौरान कई सदस्यों ने इस पर सवाल भी खड़े किए. सदस्यों ने विधेयक पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इस विधेयक के प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 21 के द्वारा नागरिकों को दिए गए अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. संविधान का यह अनुच्छेद सभी को न्याय प्राप्त करने का अधिकार देता है. इसके अलावा कुछ सदस्यों ने एफईओ की जब्त संपत्तियों की बिक्री और 
उससे प्राप्त राशि को साझा करने की प्रक्रिया के संबंध में भी प्रश्न खड़े किए. 

 

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