पांडवों के समय से प्रज्वलित है इस मंदिर की अखंण्ड ज्योति
पांडवों के समय से प्रज्वलित है इस मंदिर की अखंण्ड ज्योति
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भारत में आदिकाल से ऐसे कई मंदिर निर्माणित हुए हैं जो आज भी अपनी वही मौजूदगी रखते हैं और साथ ही वही चमत्कार के साथ, ये मां की असीम कृपा होती है कि वे अपनी शक्ति से इस जगत का कल्याण करती हैं। इस जगत को धारण करती हैं। कण - कण में ही ईश्वर और उसकी शक्ति का वास है। इस शक्ति के जागृत स्थल बड़े पूजनीय हैं। इन स्थलों को शक्तिपीठ कहा जाता है। भारत में ऐसे 51 शक्तिपीठ हैं और इनमें श्रद्धालुओं की अगाध श्रद्धा होती है। इन शक्ति स्थलों में प्रमुख और चमत्कारिक शक्ति पीठ श्री ज्वाला देवी है। जहां पहाड़ पर निरंतर प्रज्जवलित ज्वाला का पूजन किया जाता है। हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा से 30 किलोमीटर दूर प्रतिष्ठापित है। ज्वालादेवी का यह मंदिर प्रमुख मंदिर है। इसे नगरकोट भी कहा जाता है।

माना जाता है कि इस मंदिर की खोज पांडवों द्वारा की गई थी। यह मंदिर माता के दूसरे मंदिरों की तुलना में बेहद अलग है। यहां पर पहाड़ से आश्चर्यजनक तौर पर अखंड ज्वाला निकल रही है। हजारों वर्षों से माता की यह ज्वाला जागृत बनी हुई है। माना जाता है कि यहां पर जो नौ ज्योतियां प्रज्जवलित हैं उन्हें श्री महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, श्री महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी आदि के नाम से जाना जाता है। मंदिर का प्राथमिक निर्माण राजा भूमिचंद्र द्वारा करवाया गया था। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर निर्माण के कार्य को आगे बढ़ाया। 

मंदिर के समीप गोरख डिब्बी का चमत्कारीक स्थान भी है। माता के चमत्कार और अकबर से जुड़ी कथा भी बेहद प्रचलित है। एक बार ध्यानू भक्त माता के दर्शन के लिए कुछ लोगों के साथ चल पड़ा। ऐसे में अकबर के सेनिकों ने उसे पकड़ लिया। जब उसे अकबर के सामने लाया गया तो उसने माता के दर्शन के लिए जाने की बात कही। ऐसे में अकबर ने ध्यानू भक्त की भक्ति को सिद्ध करने की बात कही और कहा कि तुम्हारे घोड़े की गर्दन काट देते हैं यदि मां जागृत हैं तो घोड़े की गर्दन अपने आप जुड़ जाएगी। ध्यानू भक्त ने अकबर से 1 माह का समय मांगा। 

ध्यानू श्री ज्वाला मंदिर पहुंचा। वहां उसने स्नान के बाद पूजन किया और कहा कि आप अंर्तयामी हैं। आप मेरे घोड़े को जीवन देकर उसकी गर्दन जोड़ दें। ऐसे में जिस घोड़े की गर्दन काटी गई थी उसकी गर्दन फिर जुड़ गई और घोड़ा जीवित हो गया। माता ने अपना चमत्कार दिखाया जिसे देख अकबर आश्चर्यचकित हो गया फिर उसने अपनी ओर से एक छत्र माता के मंदिर में चढ़ाया। 

इस मंदिर की खासियत जानने के बाद आप भी पहुँच जाएंगे दर्शन के लिए

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