उज्जैन : संभागायुक्त रविन्द्र पस्तोर द्वारा संभाग के किसानों को उनकी उपज के बेहतर दाम दिलाने के लिये जो पहल की गई है वह अब रंग ला रही है। संभाग के किसान अब अपनी फसल के बेहतर दाम लेने की स्थिति में धीरे-धीरे आने लगे हैं। इसके लिये गठित की गई किसान प्रोडयूसर कंपनियां अपना रोल प्ले करने लगी है। रतलाम जिले में गठित की गई रतलाम आदिवासी किसान प्रोडयूसर कंपनी के बैनर तले करीब सौ से ज्यादा किसान अपनी प्याज की फसल को इस वर्ष सीधे दिल्ली भेज रहे हैं। दिल्ली से उन्हें 20 से 30 प्रतिशत ज्यादा दाम प्राप्त हो रहे हैं। अभी तक रतलाम से छह ट्रक प्याज लदान करके दिल्ली भेजी जा चुकी है।
स्टेट फेडरेशन कर रहा है मदद रतलाम आदिवासी किसान प्रोडयूसर कंपनी द्वारा अपने स्टेट फेडरेशन यानी मध्यभारत कंसोटियम, जो कि प्रोडयूसर कंपनियों का स्टेट फेडरेशन की मदद से किसानों की प्याज एकत्र करके दिल्ली भेज रही है। इससे न केवल किसान को बेहतर दाम मिल रहा है बल्कि उनकी प्याज की आवक के सीजन में औने.पौने दाम पर स्थानीय बाजार में बेचने की चिन्ता से भी मुक्ति मिली है।
इसका एक महत्वपूर्ण लाभ यह भी हुआ है कि इस स्थिति को देखते हुए स्थानीय व्यापारी भी प्याज के खरीदी दामों में बढ़ोत्तरी करने पर मजबूर हुए हैं। इसके साथ ही किसान को वेटलॉसए परिवहन खर्चए श्रमिक खर्च और समय की भी बचत हो रही है। अमूमन किसान अपनी उपज का स्थानीय बाजार की तुलना में दिल्ली मंडी से 20 से 30 प्रतिशत अधिक राशि प्राप्त कर रहा है। रतलाम से गये छह ट्रक इस वर्ष रतलाम जिले के कई गांव के किसान रतलाम आदिवासी किसान प्रोडयूसर कंपनी से जुड़े हैं।
राज्य शासन द्वारा किसानों की प्रोडयूसर कंपनियों के निर्माण का सीधा फायदा न केवल उज्जैन संभाग के किसान ले रहे हैंए बल्कि आसपास के लगे जिलों के किसान भी अपनी फसल को दिल्ली भेज रहे हैं। रतलाम से अभी तक छह ट्रक लदान करकेक दिल्ली जा चुके हैं। बड़वानी के किसानों की प्याज फसल के छह ट्रक और अलीराजपुर जिले के चार ट्रक अभी तक दिल्ली भेजे जा चुके हैं। संभागायुक्त की इस पहल से संभाग के सभी जिलों में कई अन्य किसान प्रोडयूसर कंपनियां शीघ्र ही अस्तित्व में आने वाली है।