कहीं अप्रैल फुल अप्सरा ने मनवाया, तो कहीं जासूस का नाम अप्रैल फुल बताया
कहीं अप्रैल फुल अप्सरा ने मनवाया, तो कहीं जासूस का नाम अप्रैल फुल बताया
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अप्रैल फुल बनाया, आपको गुस्सा आया, अप्रैल के महीने में ये लाइन हम हमेशा बोलते है। मू्रख दिवस के दिन हम लोगों को किसी न किसी बहाने से मूर्ख बनाने का भरपूर प्रयास करते है। कई लोग इस पर घुस्सा हो जाते है, तो कई इसे हल्के-फुल्के में लेते है, इससे माहौल हंसी मजाक भरा हो जाता है। कई लोग तो अपने जदोस्तों और फैमिली वालों के साथ प्रैंक के लिए कई आइडियाज पहले से सोच कर रखते है। लेकिन जानने वाली बात ये है कि आखिर ये मनाया क्यों जाता है

* लंदन में इसे मनाने के पीछे एक  कहानी है। 1 अप्रैल 1698 को कई लोगों को टावर ऑफ लंदन के पास धोखे से बुलाया गया। ये कहकर कि वॉशिंग ऑप द लायन यानि शेर की धुलाई देखने चलते है। तब जो लोग वहां पहुंचे, वो बुद्धू बने और तभी से इसकी पारंपरिक रुप से मनाने की घोषणा हुई। इसमें भी रोचक बात ये है कि साल 1857 से वॉशिंग द लायंस का टिकट भी जारी होने लगा।

* यूरोप में तो ये और भी दिलचस्प है। वहां 1 अप्रैल को यानि अप्रैल फुल डे के दिन मालिक नौकर की भूमिका में होता और नौकर मालिक बन हुकुम चलाता। उस दिन नौकर बनने वाले मालिक को मालिक बने नौकर की हर बात माननी पड़ती थी। उसे कपड़े धोने से लेकर खाना बनाना जैसे सभी काम विनम्रता पूर्वक  करने होते थे।

* फ्रांस के नारमेडी में एक जुलूस निकाला जाता है। जिसमें एक बेहद मोटा आदमी घोड़े की पीठ पर बैठकर सारे शहर में घूमता है, जिसे देखते ही लोग खिलखिला कर हंस पड़ते थे और नाचने-गाने लगते थे।

* डेनमार्क में अप्रैल फुल डे के साथ-साथ 1 मई को माज-काट डे भी मनाते है। जिसका अर्थ है मे-कैट और ऐतिहासिक रुप से यह अप्रैल फुल डे जैसा ही होता है।

* कनाडा में 1 अप्रैल मनाने की परंपरा थोड़ी अलग है। यहां प्वाइजन डी एव्रिल यानि अप्रैल की मछली होती है, जो कि एक कागज की बनाई गईमछली होती है। जिसे जिसको भी मछली बनाता होता था, वो उसके पीठ पर इसे चुपके से चिपका देता था। यह इटली सरीखे कई अन्य देशों में भी किया जाता है।

* एक और खास बात ये भी प्रचलित है कि अप्रैल फुल एक जासूस का कोड नेम था, जिसने इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के पतन में मुख्य भूमिका निभाई थी।  मूर्ख दिवस के संदर्भ में पहला संबंध चॉसर के कैंटरबरी टेल्स (1392) में पाया जाता है। ब्रिटिश लेखक चॉसर की किताब द कैंटरबरी टेल्स में कैंटरबरी नाम के एक कस्बे का जिक्र है। इसमें इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च, 1381 को होने की घोषणा होती है जिसे कस्बे के लोग सही मानकर मूर्ख बन जाते हैं। तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया जाता है।

* एक अन्य लोक कथा के अनुसार एक अप्सरा ने किसान से दोस्ती की और कहा- यदि तुम एक मटकी भर पानी एक ही सांस में पी जाओगे तो मैं तुम्हें वरदान दूंगी। मेहनतकश किसान ने तुरंत पानी से भरा मटका उठाया और पी गया। जब उसने वरदान वाली बात दोहराई तो अप्सरा ने कहा कि तुम बहुत भोल-भाले हो, आज से तुम्हें मैं यह वरदान देती हूं कि तुम अपनी चुटीली बातों द्वारा लोगों के बीच खूब हंसी-मजाक करोगे। अप्सरा का वरदान पाकर किसान ने लोगों को बहुत हंसाया, हंसने-हंसाने के कारण ही एक हंसी का पर्व जन्मा, जिसे हम मूर्ख दिवस के नाम से पुकारते हैं।

* चीन में सनन्ती नामक एक संत थे, जिनकी दाढ़ी जमीन तक लंबी थी। एक दिन उनकी दाढ़ी में अचानक आग लग गई तो वे बचाओ-बचाओ कह कर उछलने लगे। उन्हें इस तरह उछलते देख कर बच्चे जोर-जोर से हंसने लगे। तभी संत ने कहा, मैं तो मर रहा हूं, लेकिन तुम आज के ही दिन खूब हंसोगे, इतना कह कर उन्होंने प्राण त्याग दिए।

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