इस राक्षस की वजह से गया मे किया जाता है पिण्डदान
इस राक्षस की वजह से गया मे किया जाता है पिण्डदान
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दुनिया का हर इंसान स्वर्ग में जाने की इच्छा रखता है और उसके लिए वह प्रयत्नशील भी रहता है। लेकिन क्या आप जानते है पौराणिक कथा के अनुसार एक काम ऐसा भी है जिसे करने के बाद आप खुद तो स्वर्ग में जाएंगे ही साथ ही दूसरे को भी स्वर्ग भेज सकते हैं बस इसके लिए आपको यह काम करना होता है. जिसे करने के बाद आप खुद के लिए स्वर्ग के रास्ते खोल देते हैं।

दरअसल जो भी मनुष्य अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण आदि का कार्य गया में जाकर करता हैं। वो ना केवल खुद का बल्कि अपने पूर्वजों को भी स्वर्ग में स्थान दिलाता हैं। इस बात को प्रमाणित किया है भगवान के अवतार भी गया में आकर अपने पितरों का पिंडदान किया था। इनमें भगवान राम, कृष्ण, युधिष्ठिर, भीष्म, बलराम आदि।  गया के पीछे एक पौराणिक कथा हैं इसमें गयासुर नामक एक राक्षस ने भगवान विष्णु को प्रसन्न कर वरदान प्राप्त किया। जिसके अनुसार जो भी मनुष्य उसको स्पर्श या दर्शन करेगा। उसको सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होगी।

इस वरदान की वजह से स्वर्ग की व्यवस्था बिगडऩे लगी। तो सभी भगवान विष्णु के पास गये। तो भगवान विष्णु ने देवताओं से कहा कि तुम गयासुर के मृत शरीर पर एक यज्ञ करो। इसके लिए सभी देवताओं के साथ भगवान विष्णु ने भी गयासुर को प्रोत्साहित किया।  जब वह मान गया तो देवता उसकी पीठ पर बैठ कर यज्ञ करने लगे। लेकिन कुछ समय बाद ही गयासुर का शरीर हिलने लगा। देवताओं ने घबराकर उसपर एक विशाल शिला रख दी। लेकिन फिर भी कम्पन कम नहीं हुआ। 

जब यह बात भगवान विष्णु को पता चली तो उन्होंने धर्मशिला पर एक प्रहार करने का विचार बनाया। इस बात का मालूम होने पर गयासुर ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की हे प्रभु! आप मुझे वरदान दे कि जो भी मनुष्य इस शिला पर आकर अपने पितरों का श्राद्ध और पिण्डदान करेगा। वह व्यक्ति अपने पितरों के साथ मोक्ष का अधिकारी होगा। भगवान विष्णु ने गयासुर को वरदान देते हुए कहा कि आज से यह क्षेत्र गया के नाम से जाना जाएगा। जो भी मनुष्य यहां आकर अपने पितरों का तर्पण और श्राद्ध करेगा। उनको स्वर्ग की प्राप्ति होगी।

 

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