सपनों की उड़ान देती वायुसेना
सपनों की उड़ान देती वायुसेना
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भारतीय वायुसेना आपको आकाश में उडऩे का यूनिफार्म देती है। आप को यहां आवाज की स्पीड से भी ज्यादा तेज उड़ान भरने का रोमांचकारी अनुभव मिलता है। साथ ही दो साल की स्टडी लीव, हाउसिंग फैसिलिटीज, मेडिकल फैसिलिटीज, आपके बच्चों के लिए एजुकेशन, स्कॉलरशिप और इसके अलावा भी बहुत कुछ मिलता है। इन सुख-सुविधाओं के अलावा आपको यहां लगातार अपस्किल होने के मौके भी मिलते हैं। इन सबसे बड़ी बात भारतीय वायु सेना आपके साथ रिटायरमेंट के बाद भी रिश्ते बनाए रखती है। 

चयन की प्रक्रिया 

भारतीय वायु सेना में नौकरी के लिए आपको अपना आवेदन एयरफोर्स सिलेक्शन बोर्ड को भेजना होगा। 16.5 से 19 साल की उम्र के वे आवेदक, जो भारतीय नागरिक हैं और जिन्होंने सीनियर सेकंडरी की परीक्षा फिजिक्स और मैथेमैटिक्स के साथ पास की है, आवेदन कर सकते हैं। एयरफोर्स सिलेक्शन बोर्ड संभावित अफसरों के चयन के लिए चार चरणों की एक चयन प्रक्रिया शुरू करती है। इसका सबसे कठिन हिस्सा वह होता है, जिसमें आपमें अफसरों के तमाम गुणों को परखा जाता है। इसमें साइकोमेट्रिक, लीडरशिप और फि जिकल टेस्ट शामिल हैं। इसके लिए सिले शन बोर्ड पांच दिन तक कड़ी परीक्षा लेता है। अगर आपके पास एनसीसी सीनियर डिवीजन का सी सर्टिफिकेट है और आप शॉर्ट सर्विस कमीशन  लाइंग (पायलट) के लिए आवेदन करते हैं तो आपकी एप्लीकेशन पर वायु सेना मुख्यालय गौर करता है और आपके लिए कॉल लेटर एएफ एसबी से आते हैं। 

आप आइएएफ की टेक्निकल ब्रांच और अएन ग्राउंड-नॉन टेक्निकल ड्यूटी ब्रांचेस के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। टेक्निकल ब्रांच के लिए इंजीनियरिंग नॉलेज टेस्ट में बैठना होगा और अएन ग्राउंड-नॉन टेक्निकल ड्यूटी ब्रांचेस के लिए आपको कंबाइंड एंट्रेंस टेस्ट देना होगा। कंबाइंड एंट्रेंस टेस्ट के लिए एयरफोर्स सिलेक्शन बोर्ड आपको अपने देहरादून, वाराणसी या मैसूर बेस पर बुलाती है। चयन के चार चरण का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा पायलट एप्तिट्यूट बैटरी टेस्ट होता है। इसके बाद साइकोलॉजिकल ग्रुप टेस्ट और इंटरव्यू होते हैं। पीएबीटी यानि पायलट एप्टिट्यूट बैटरी टेस्ट भी दो हिस्सों में होता है। दो पेपर पेंसिल टेस्ट और दो मशीन टेस्ट इंस्ट्रूमेंट, बैटरी टेस्ट, सेंसरी मोटर अपरेटस टेस्ट का होता है। इसके बाद कंट्रोल वेलॉसिटी टेस्ट होता है। इसका उद्देश्य होता है उन्हीं उ मीदवारों का चयन जिनमें पायलट ट्रेनिंग लेने की सही योग्यता हो। दरअसल एक पायलट में विमान के इंस्ट्रूमेंट पैनल के डायलों को पढऩे और समझने की क्षमता होनी चाहिए। 

इसके साथ ही अच्छी चुस्ती, इकोमोटर समन्वय क्षमता भी होनी चाहिए। पीएबीटी जीवन में सिर्फ एक बार होता है और अगर आप इसमें नाकाम रहते हैं, तो आप इसमें दोबारा नहीं बैठ सकते हैं। लेकिन अगर आप पीएबीटी  लीयर कर लेते हैं, तो इसका साइकोलॉजिकल और ग्रुप टेस्टों का कंबाइंड स्कोर तथा एससेमेंट यह तय करता है कि आप विमान उड़ाने के लिए सिले ट किए गए हैं या नहीं। पीएबीटी  लीयर करने वाले कैंडीडेट्स को एयरफोर्स सेंट्रल मेडिकल इस्टेब्लिशमेंट, दिल्ली या इंस्टीट्यूट अएफ एयरोस्पेस मेडिसिन, बंगलुरू में मेडिकल परीक्षण देना होता है। आप एनडीए तभी पहुंच सकते हैं, जब मेडिकली फिट होने का सर्टिफिकेट मिलेगा। पीएबीटी में असफल उम्मीदवारों का उनकी सेकंड या थर्ड च्वाइस के लिए टेस्ट लिया जाता है। 

नेशनल डिफेंस एकेडमी 

नेशनल डिफेंस एकेडमी में कैडेट्स को शारीरिक फि टनेस और शिक्षा दोनों की ट्रेनिंग दी जाती है। इसका उदेश्य होता है सर्वांगीण विकास और क्षमताओं को पैना करना। परफॉर्मेंस के आधार पर कैडेट्स को साइंस, ह्यूमेनटीज और कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र चुनने का विकल्प मिलता है। हालांकि यहां तक आते-आते कैडेट्स के क्षेत्र अलग-अलग हो जाते हैं। लेकिन कैडेट्स को उनके विषय क्षेत्र के बाहर के विषयों की भी बुनियादी बातों की शिक्षा दी जाती है। उन्हें अपनी मातृ भाषा के अलावा हिंदी और अपनी पंसद की कोई एक विदेशी भाषा भी सीखनी जरूरी होती है। अंत में पांच सेमेस्टर समाप्त होने पर कैडेट्स को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से आर्टस,साइंस या कंप्यूटर साइंस में बीएससी स्तर की ग्रेजुएट डिग्री दी जाती है।

ग्रेजुएट की डिग्री मिल जाने के बाद भी कैडेट्स की पढ़ाई खत्म नहीं होती। एकेडमिक्स वह चीज है जो अधिकारियों के साथ उनके पूरे कॅरियर में बनी रहती है। नौकरी के दौरान भी कैडेट्स को कई शॉर्ट प्रोग्राम्स के लिए भेजा जाता है। इससे उन्हें नई दक्षताएं हासिल करने और कटिंग एज नॉलेज पाने का मौका मिलता है। इसके अलवा आपको लगातार विदेशी संस्थानों में ट्रेनिंग और ए सचेंज प्रोग्रा स के तहत नई-नई जानकारियां दी जाती हैं। वायुसेना टेक्निकल ब्रांच के अफसरों के लिए आइआइटी और बीएचयू आइटी से एमटेक के कोर्स भी स्पांसर करती है।

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