क्या आप जानते है? रविवार के दिन ही सारे आफ़िस क्यों बंद रहते है....
क्या आप जानते है? रविवार के दिन ही सारे आफ़िस क्यों बंद रहते है....
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सभी व्यक्ति सप्ताह में 6 दिन काम करते है और 7वां दिन उनके अवकाश का होता है. यानी रविवार जिसका उन्हें बेसब्री से इन्तजार होता है. पूरे सप्ताह की भागदौड़ भरी जिन्दगी में एक रविवार ही एक ऐसा दिन है. जब व्यक्ति अपना सम्पूर्ण समय अपने परिवार के साथ व्यतीत करता है और अपने घर के कुछ कार्य करता है. लेकिन क्या आप जानते है की रविवार के दिन ही हमें छुट्टी क्यों मिलती है. इसके पीछे एक संघर्ष की कहानी जुडी हुई है जो हम आपको बताने जा रहे है. आइये जानते है वह कहानी कौन सी है.

जिस प्रकार अंग्रेजों से आजादी पाने के लिए हमें बहुत संघर्ष करना पड़ा था. उसी प्रकार इस रविवार की छुट्टी को पाने के लिए भी हमें बहुत संघर्ष करना पड़ा था. रविवार की छुट्टी की घोषणा होने में हमें आठ साल की लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी थी. इसके बाद ही रविवार की छुट्टी की घोषणा हुई थी.

यह बात उस समय की है जब भारत देश अंग्रेजों का गुलाम था उस समय सभी व्यक्ति हर दिन काम करते थे और उन्हें एक दिन का भी आराम नहीं मिलता था.जिसके कारण उनकी स्थिति बहुत दयनीय हो गई थी.उस समय कपड़ा और अन्य प्रकार की मीलों में काम करने वाले मजदूरों के नेताओं में श्री नारायण मेघाजी लोखंडे थे जिन्होंने इस शोषण के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद कर आन्दोलन शुरू किया था.

इस आन्दोलन का नाम श्रम आन्दोलन रखा गया था तथा इसके जनक श्री नारायण मेघाजी लोखंडे ने सन 1881 में अंग्रेजी साम्राज्य के समक्ष सभी मजदूरों का सप्ताह में एक दिन अवकाश रखने का अहवान किया और रविवार को अवकाश का दिन घोषित करने के लिए अपनी आवाज उठाई क्योकि रविवार के दिन ही सभी अंग्रेज चर्च जाकर प्रेयर करते थे तथा रविवार का दिन हिन्दू के देवता खंडोबा का दिन भी रविवार माना जाता था.

यह 1881 से लेकर 1889 तक पूरे 8 वर्ष चला और आखिर में अंग्रेजों को इस आन्दोलन के सामने झुकना पड़ा रविवार को अवकाश का दिन घोषित करना पड़ा.ये ही नहीं जो हमें काम के दौरान आधा घंटा खाना खाने का मिलता है और माह की 15 तारीख तक जो वेतन मिलता है यह भी लोखंडे जी के आन्दोलन के कारण ही संभव हो सका.

 

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