रायपुर : छत्तीसगढ़ पुलिस एक बार फिर अपनी कार्रवाई को लेकर सुर्ख़ियों में आ गई है इस बार उन्होंने जो किया है उसको देखकर हर कोई हैरान है बताया जा रहा है कि हत्या के प्रयास और विस्फोटक अधिनियम में एक नेत्रहीन को गवाह बनाया गया है जिसे उन्होंने कोर्ट में भी पेश कर दिया है. पर ऐन वक्त पर अभियोजन ने इस गवाह को ड्रॉप किया है.
बताया जा रहा है कि साल 2013 में हुए नक्सली हिंसा में इस नेत्रहीन को गवाह बनाया गया था .जिसको लेकर पुलिस का कहना है कि इस हिंसा में घायल होने के कारण इन के आंखों की रोशनी चली गई थी. हालांकि इस बात की पुष्टि कोर्ट भी नहीं कर सकता है वहीं इससे पहले भी अभियोजन ने उसे ड्राप कर दिया.
सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी ने मामले में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि माड़वी नंदा को फोर्स उठाकर ले गई थी.उससे गड़े बम को उखड़वाया गया. इसी दौरान बम विस्फोट हुआ और वह बूरी तरह से घायल हो गया है. इस प्रकरण में माड़वी नंदा पीड़ित है. पुलिस ने उसका इस्तेमाल किया. यदि माओवाद हिंसा पीड़ित को जो मुआवजा मिलता है, वो नंदा को भी मिलना चाहिए.
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