औद्योगिक संगठन एसोचैम और वेलोसेटी के एक संयुक्त अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत में 2020 तक प्रतिदिन 775.5 टन मेडिकल अपशिष्ट पैदा होगा. फ़िलहाल देशभर में प्रतिदिन 550.9 टन मेडिकल अपशिष्ट पैदा होता है. गुरूवार को जारी की गई इस रिपोर्ट में हर साल उत्सर्जित होने वाले मेडिकल अपशिष्ट में करीब सात फीसदी बढ़ोतरी होने की उम्मीद जताई जा रही है.
'अनअर्थिंग द ग्रोथ कर्व एंड नसेसिटी ऑफ बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट इन इंडिया 2018' नामक इस अध्ययन में खासतौर पर कचरे के सुरक्षित और प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है. इस विषय पर दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक डॉक्टर कृति भूषण ने कहा कि, "अपशिष्ट का सुरक्षित और प्रभावी प्रबंधन ना केवल कानूनी जरूरत है बल्कि एक सामाजिक दायित्व भी है. चिंता, प्रोत्साहन, जागरूकता की कमी और लागत कुछ ऐसे तथ्य हैं जिसके कारण उचित बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन में समस्याओं का सामना करना पड़ता है."
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में 2025 तक अपशिष्ट प्रबंधन का बाजार 136.20 करोड़ अमेरिकी डॉलर को भी पार कर जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक चिकित्सा अपशिष्ट के खराब प्रबंधन के कारण मानव स्वास्थ्य को बेहद नुकसान पहुँचता है.
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