आओ खेलें भूतों के संग आँख मिचौली
आओ खेलें भूतों के संग आँख मिचौली
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भूत-प्रेत आत्मा कोई विश्वास करता है कोई नहीं भी, मगर क्या असल में भूत होते और यदि होते यही तो इंसानो की दुनिया में आकर एहसास क्यों दिलाते है. हमने भूत प्रेत की कई फिल्मे देखी, जिस कारण चेहरे पर कई बार पसीने की बून्द पेश आई तो कभी कुछ फिल्मे देख कर हसी के रसगुल्ले जुबां पर आ गए.

फिल्मो के लिहाज से देखा जाए तो भूत कई प्रकार से अपने वजूद की मौजूदगी दर्ज कराते है. क्या कभी किसी ने ये सोचा है, भूत इंसानो के साथ लुका छिपी क्यों खेलते है? भूत इंसान के पास से गायब हो जाते है, फिर इंसान ढूंढ़ता रहे, कौन.. कौन कौन है वहां. गाँवो में भ्रांतिया है कि जिस महिला के बाल लम्बे होते है उन पर चुड़ैल का असर जल्दी होता है. डायन की जान उस की चोटी में होती है, इस तरह की बातें सिर्फ लम्बे बाल वाली लड़कियों को बदनाम करती है, मगर कुछ भी हो खुली जुल्फे खूबसूरती की मिसाल पेश करने के साथ हल्का-फुल्का मजाक और डराने के काम भी आती है.

पीछे से घुंघरू की आवाज आई, पलट कर देखने की हिम्मत कैसे करे, कही मंजोलिका हुई तो! घुंघरू इंसान को सताने के काफी काम आते है मगर पता नहीं भूतो का घुंघरुओं से क्या संबंध है, जो इसे साथ लेकर वह घूमते है. प्रेत इंसान के मरने के बाद उसकी आजाद हुई आत्मा को कहते है. जब मरने के बाद शरीर खत्म हो जाता है तो प्रेत की पहचान उस के उलटे पांव से क्यों करते है. मरने के बाद व्यक्ति बच्चा बन जाता है, जी ये मैं नहीं बल्कि फिल्मे कहती है. भूत प्रेत इंसानो के साथ नटखट शरारते करके उनको सताते है. कभी घडी का समय बदल कर, कभी दरवाजा बंद कर तो कभी रो-रो कर तो कभी हंस कर. इस तरह किसी छोटे बच्चे की तरह वह इंसान का जीना मुश्किल कर देते है.

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