संतुलित बजट की चुनौती और राजस्व संग्रह की चिंता
संतुलित बजट की चुनौती और राजस्व संग्रह की चिंता
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आगामी 1 फरवरी को वित्त मंत्री द्वारा आम बजट पेश किया जाएगा.इस बार का बजट सरकार का आखिरी पूर्णकालिक बजट होगा.इसलिए इस बजट में वोट मंत्री अरुण जेटली के सामने जनता को खुश करने और कर संग्रह दोनों की चुनौतियाँ रहेंगी.जिनसे निपटने के लिए मोदी सरकार को कई प्रयास करने होंगे.

बता दें कि एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार मध्यम वर्ग को खुश करने के लिए सरकार को करीब 28500 करोड़ रुपए की जरूरत होगी . सातवें वेतन आयोग के बाद आय में हुई वृद्धि के कारण आयकर छूट सीमा 2 ,50,000 रुपये बढ़ाकर 3 लाख रुपये तक करने की भी आवश्यकता है.यह आशा समावेशी वृद्धि के सिद्धांतों पर आधारित है.

एसबीआई की रिपोर्ट कहती है कि  इस बार के बजट में कृषि, एमएसएमई, बुनियादी ढाँचे और सस्ते मकान पर जोर देने के साथ ही .बैंक बचत खाते पर 10 हजार रुपए से ज्यादा ब्याज मिलने पर टैक्स सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए.इसी तरह टैक्स सेविंग टर्म डिपॉडिट की लॉक अवधि 5 साल से घटाकर 3 साल करने की भी जरूरत है .

निवेश को बढ़ाने के लिए रिपोर्ट में विलम्बित परियोजनाओं की लागत में हुई वृद्धि के बराबर पूंजी सब्सिडी के रूप में   देने की बात कही है. सरकार को ऐसे मामलों में वित्त पोषण रियायती ब्याज दर के द्वारा किए जाने का सुझाव दिया गया है. साथ ही संगठित क्षेत्र में रोजगार सृजन के बारे में मासिक आंकड़ा प्रकाशित करने की जरूरत पर भी बल दिया गया है.

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