पटना - सरकार द्वारा बड़े नोटों को बन्द किये जाने के बाद देश भर में फैली गहमा गहमी के बीच बैंकों और एटीएम में लगी लम्बी कतारों में लगे परेशान लोगों के किस्से तो मीडिया की सुर्खियां बन चुके हैं, लेकिन नोट बदलने और लेनदेन करने वाले बैंककर्मियों का पक्ष कम प्रकाश में आया है. जबकि बैंक कर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार और अनुचित टिप्पणी करने के मामले भी जानकारी में आए हैं. फिलहाल करीब 12 घण्टे ये बैंककर्मी सेवा दे रहे हैं. इन कर्मियों की परेशानियों को उजागर करना ही इस खबर का मकसद है.
इसी कड़ी में बिहार की एक सात माह की नन्हीं बच्ची की मां और बैंककर्मी की दास्तान पेश है जो नोट बन्दी के दौरान सेवा को समर्पित है. गौरतलब है कि बिहार के खगड़िया के एक बैंक में कंचन प्रभा नामक महिला बैंककर्मी है जो नोटबन्दी के इस दौर में रोज अपनी 7 माह की बेटी पंखुड़ी को लेकर बैंक आती हैं और नोट बदलवाने आई भीड़ से जूझती हैं.
इस बारे में कंचन ने बताया कि वह सुबह 8 बजे से बैंक आने की तैयारी में लग जाती हैं. बच्ची को साथ लाती हैं. बैंक में दूध और सारे इंतजाम वो साथ लाती हैं. शाम बैंक बंद होने के बाद कागजी काम भी निबटाया जाता है. इसलिए रात 9 बजे ही घर जा पाती है. ऐसे में आप उस नन्ही बच्ची की परेशानी को समझ सकते हैं. इसीलिए कंचन बैंक में ही वॉकर रखती हैं ताकि बच्चे को सोने में कोई परेशानी नहीं हो. बता दें कि कंचन के पति प्रभात कुमार मुंगेर कोर्ट में एपीओ हैं. इसलिए कंचन अपनी बच्ची को घर पर भी नहीं छोड़ सकती है. 3 दिन पहले पंखुड़ी बीमार थी तब भी प्रभा ने छुट्टी नहीं ली.
देखने में तो यह छोटा मामला दिखता है, लेकिन इसके पीछे की परेशानी किसी को नजर नही आती. यह अकेली कंचन की परेशानी का मामला नहीं है .ऐसे कई बैंककर्मी हैं जो अपनी व्यक्तिगत परेशानियों , अस्वस्थता और निजी दिक्कतों को दरकिनार कर मुस्तैदी से राष्ट्र सेवा के इस कार्य में निरन्तर लगे हुए हैं. ऐसे में आमजन को भी चाहिए कि वह इन बैंककर्मियों से अच्छे से पेश आएं और थोड़ा धैर्य रखें. आप यह न भूलें कि यह आपकी सेवा के लिए ही तैनात किये गए हैं.