नवरात्री मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा जो शायद आप नहीं जानते होंगे
नवरात्री मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा जो शायद आप नहीं जानते होंगे
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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्र‍ि की शुरुआत होती है. इस बार 18 मार्च से चैत्र नवरात्र‍ि शुरू हो रही है जो 25 मार्च तक चलेगी. नवरात्र‍ि में मां दुर्गा के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. ऐसी मान्‍यता है कि इन नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा धरती पर ही रहती हैं. ऐसे में बिना सोचे-समझे भी यदि किसी शुभ कार्य की शुरुआत की जाए तो उस पर मां की कृपा जरूर बरसती है और वह कार्य सफल होता है.

ऐसी मान्‍यता है कि चैत्र नवरात्र‍ि के पहले दिन मां दुर्गा का जन्‍म हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्‍ट‍ि का निर्माण किया था. इसीलिए चैत्र शुक्‍ल प्रतिपदा से हिन्‍दू वर्ष शुरू होता है. नवरात्र‍ि के तीसरे दिन भगवान विष्‍णु ने मत्‍स्‍य रूप में जन्‍म लिया था और पृथ्‍वी की स्‍थापना की थी.

ऐसी भी मान्‍यता है कि भगवान विष्‍णु का 7वां अवतार भगवान राम का जन्‍म भी चैत्र नवरात्र‍ि में ही हुआ था. इसलिए धार्मिक दृष्‍ट‍ि से भी चैत्र नवरात्र का बहुत महत्‍व है. ऐसा माना जाता है कि नवदुर्गा पूजन के ये नौ दिन बहुत शुभ होते हैं. इसलिए इन नौ दिनों के दौरान कोई भी शुभ कार्य बिना सोच-विचार के कर लेना चाहिए. क्‍योंकि पूरी सृष्टि को अपनी माया से ढ़कने वाली आदिशक्ति इस समय पृथ्वी पर होती है.

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