देश में अब भी हैं 88 हजार कुष्ठ रोगी
देश में अब भी हैं 88 हजार कुष्ठ रोगी
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यूपी के खेतिहर मजदूर प्रदीप कुमार(24) का इलाज उस बीमारी का हो रहा है. जिसे 11 साल पहले देश से भगा दिया गया था. जी हाँ, बात हो रही है कुष्ठ रोग की. भारत में अभी 88 हजार से ज्यादा कुष्ठ रोगी हैं|

1991 के आर्थिक उदारीकरण के दौर में भारत में प्रति 10 हजार जन संख्या पर 26 कुष्ठ रोगी थे. बीते 14 वर्षों में लगातार कोशिशों और उपचार से यह संख्या 25 गुना घटकर प्रति 10 हजार सिर्फ 1 रह गई. 2001-05 के बीच जब भारत ने लक्ष्य हासिल किया तो दुनिया में कुष्ठ रोगियों की संख्या 61 फीसदी कम हो गई. क्योंकि भारत में चार गुना संख्या कम हो गई थी|

ऐसा लगता है कुष्ठ रोग सरकार के रडार से उतर गया है. देश में हर साल पहचान किये जाने वाले 1 लाख 25 हजार कुष्ठ रोगियों में प्रदीप कुमार भी एक है. दुनिया भर में कुष्ठ रोग के 58 फीसदी नए मामले सामने आए हैं. फिहाल भारत में अभी कुष्ठ रोगियों की प्रचलित दर प्रति 10 हजार पर 0.69 है अर्थात भारत में कुष्ठ रोगियों की संख्या 88 हजार 833 है|

एक गैर सरकारी संगठन ‘भारतीय कुष्ठ मिशन ट्रस्ट’ के कार्यकारी निदेशक सुनील आनंद के अनुसार यह आधिकारिक आंकड़ा है, जबकि वास्तव में कुष्ठ रोगियों की संख्या दो गुना और यहाँ तक की चार गुना अधिक भी हो सकती है. भारत में कुष्ठ रोग के खिलाफ लड़ाई में ठहराव आ गया है. कुष्ठ रोग मुक्त विश्व की दिशा में प्रगति रुक गई है. कुष्ठ रोग के खिलाफ फिर से लड़ाई शुरू करने की उम्मीद करते हैं|

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